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बनावे फिर उस कमल पत्र के दल में क्रमशः अनङ्ग कमला लिखे और विशेष रीति से पद्मगंधा, पद्मस्या और पद्ममालिका देवियों के नाम लिखे ।।१६।।
मदनोन्मादिना पश्चात् कामोद्दीपन संज्ञिकाम् । संलिखेत् पम्रवर्णाख्यां त्रैलोक्य क्षोभिणी ततः ॥२०॥
[संस्कृत टीका]-'मयनोन्मादिनां' मदनोन्मादिनीनामां, 'पश्चात्' तदनन्तरम् 'कामोद्दीपनसंज्ञिकाम्' कामोड्डीपन नाम्नीं 'संलिखेत्' सम्यग लिखेत्, 'पावरख्याम्' पशवर्णानामधेयां, "त्रैलोक्य क्षोभिणी ततः' अतन्तरं त्रैलोक्यक्षोभिणी लिखेत् ॥२०॥
| हिन्दी टीका]-उसके बाद मदनोन्मादिनी फिर कामोद्दीपन देवी का सम्यक् नाम लिखे तदनन्तर पद्मवर्णाख्या और त्रैलोक्यक्षोभिरगी का लेखन करे ।।२०।।
तेजो ह्रीं कार पूर्वोक्ता नमः शब्दावसानगाः । अकारादिहकारान्तान् केशरेषु नियोजयेत् ॥२१॥
[संस्कृत टीका--अस्य श्लोकस्य पूर्वाध पूर्व मेव सम्बन्धनीयम्, उत्तरार्धस्वत्र । 'तेजो ही कार' उँकार ह्री कार, 'पूर्वोक्ताः' पूर्वमुक्ता या दिशा प्रष्ट देध्यः ताः उँह्रीं कार पूर्वोक्ताः । किं विशिष्टाः ? 'नमः शब्दावसानगाः' नमः शब्दान्त्वगताः। प्रासामुद्धारः-उँ हो अनङ्ग कमलायै नमः, ऊँ ह्रीं पयगन्धायै नमः, ऊँ ह्रीं पास्याय नमः, उँ ह्री पद्ममालायै नमः, ऊँ ह्रीं मवनोन्मादिन्यै नमः, ऊँ ही कामोद्दीपनार्य नमः, ऊँ ह्रीं पद्मवर्णायै नमः, ऊँ हो त्रैलोक्य क्षोभिण्यै नमः, इति प्राच्याधष्टदलेषु स्थापनीयाः । इदानीमपराध कथ्यते--अकारादिहकारान्तान्' प्रकारमादि कृत्वा हकारपर्यन्तान, 'केशरेषु' कणिकाया मध्ये, 'नियोजयेत्' नियुक्त कुर्यात् ॥२१॥
[हिन्दी टीका]-इस श्लोक का पूर्व भाग पूर्व में समझना चाहिए । पहले ॐ ह्रीं आदि में लिने और अंत में नमः शब्द लगाकर क्रमश: अष्ट देवियों के अष्टदल कमल के प्रत्येकदल में नाम लिखे और फिर अंतदल में प्रकार मे लेकर हकार पर्यंत पराग के स्थान में केशरादि द्रव्यों से लिखे । उनके लिखने का क्रम :
१. ॐ ह्रीं अनङ्ग कमलाय नमः २. ॐ ह्रीं पद्मगन्धाय नमः ३. ॐ ह्रीं पद्मस्यायै नमः ४. ॐ ह्रीं पद्मभालायै नमः ५. ॐ ह्री मदनोन्मादिन्य नमः