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________________ ( १४ } [हिन्दी टीका ] - उसके बाद अपने को अग्निमंडल में बैठे हुए 'ॐ' कार और तीव्र ज्वालाओं से जलता हुआ र कार से अपने को जलता हुआ ध्यान करके, अमृत मंत्र से स्नान करे। प्रमृतस्नानमुद्रा को बना कर अपने मस्तक पर मंत्र से सिंचित करे, पंचगुरु मुद्रा से || ८ || नं० ( २ ) अमृत मंत्र :- ॐ प्रमृते प्रमृतो वे प्रमृत वर्षाणि श्रमृतं स्त्रावय २ सं १ क्लीं २ ब्लू २ २ द्रीं २ द्रावय २ हं भं श्वश्वों हंसः प्रसिश्रासा सर्वांगशुद्धि कुरु २ स्वाहा | अग्निमंडल का आकार 5 फ्र 14. ५. 4. ५./ ॐ No / रं N. No च.नही ॐ रं रं रं रं रं रं रं फ्र नोट :- १ नंबर का स्नान मन्त्र श्वेताम्बर श्री मणिलाल सारा भाई नबाब के यहाँ से छपा हुआा पद्मावत उपासना ग्रन्थसे लिखा है ।
SR No.090432
Book TitleBhairava Padmavati Kalpa
Original Sutra AuthorMallishenacharya
AuthorShantikumar Gangwal
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Occult
File Size5 MB
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