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हिन्दी टीका]-१ तोतला, २ त्वरिता, ३ नित्या, ४ त्रिपुरा, ५ कामसाधिनी और ६ त्रिपुर भैरवी, ये सब पद्मादेवी के ही नामान्तर हैं । पद्मावती देवी के रंग अलग-अलग, आयुध अलग-अलग और वाहन भी अलग-अलग हैं । (१) तोतला देवो : के हाथों में अनुक्रम से पाश, वज्र, फल और कमल हैं और वे
कमलासन पर विराजमान हैं। (२) त्वरिता देवी :-के हाथों में कम से शंख, कमल, अभय और वरदान हैं । शरीर
का रंग सूर्य के समान है। (३) नित्या देवी :-के हाथों में क्रम से पाश, अंकुश, कमल और अक्षमाला हैं। वाहन
हंस का रंग सूर्य के समान है । जटा बालचंद्र से शोभित हैं । (४) त्रिपुरा देवी :-के आट हाथों में क्रम से गूल, चक्र, कलश, कमल, धनुष, बारण,
फल, अंकुश हैं और शरीर का रंग कुकुम समान लाल है । (५) कामसाधिनी देवी :-के चारों हाथों में शंख, कमल, फल, कमल है । शरीर का
रंग बंधुक पुष्प के रंग का है । कुकुट सर्प का वाहन है । (६) त्रिपुर भैरवी देवी :-के पाठों हाथों में क्रम से पाश, चक्र, धनुष, वाग, ढाल,
तलवार, फल, कमल हैं, जिसके शरीर का रंग इन्द्रगोप के समान है और तीन नेत्रों से सहित हैं । जब देवी अलग-अलग विक्रिया करती हैं, तब अलगअलग वाहन और अलग-अलग प्रायुध धारगा करती हैं, इसीलिये स्वरूप अलगअलग हो जाते हैं । ।।३।।
प्रथमो मंत्रिलक्षणाधिकारः प्रादौ साधक लक्षरणं सुसकली देव्यर्चनायाः क्रम, पश्चाद् द्वादश यन्त्रभेद कथनं स्तम्भोऽङ्गनाकर्षणम् । यात्रं वश्यकरं निमित्तमपरं वश्यौषधं गारुडं, वक्ष्येऽहं क्रमशो यथा निगदिताः कल्पेऽधिकारास्तथा ॥४॥
[संस्कृत टोका] --प्रस्थस्यादौ 'साधक लक्षणं' मन्त्रसाधकानां लक्षणम् । 'सुसकलीम्' सम्यक् सकलीकरण क्रियाम् । 'देव्यर्चनायाः मम्' देन्याराधनविधानम् । 'पश्चात्' देव्याराधनविधानानन्तरम् । 'द्वादशयन्त्रभेव कथनम्' द्वादश प्रकार यन्त्राणां मेव्याख्यानम् । 'स्तम्भम्' क्रोधाविस्तम्भनयन्त्राधिकारम् । 'अङ्गनाकर्षणं' स्च्या