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प्रस्तावना ]
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ग्रन्थ के अन्त में स्त्रीमुक्ति का निषेध करनेवाले अप्रामाणिक दिगम्बर मत की व्याख्याकार ने विस्तारसे आलोचना प्रस्तुत की है ।
शास्त्रवार्ता के प्रत्येक खंड की प्रस्तावना में ग्रन्थगत विषय का संक्षिप्त निर्देश किया है. और वहाँ विस्तार से विषयानुक्रम भी दिया हुआ है । सिंहावलोकन न्याय से फिर से एकयार यहाँ स्मरण कर ले ।
___ प्रथम स्तबक में:-भंगलबाद-मुक्तिसुखवाद-अविरत सम्यग्दृष्टि निषिद्धकर्मप्रवृसिचर्चा-पातंजलमतानुसार वृत्तिनिरोध विमर्श-नास्तिकवादनिरसन-सदसत्कार्यवाद-अवयधिस्वातन्त्र्यनिषेधचर्चाअन्धकार भाववाद-अभावाने प्रतियोगिज्ञानकारणताविचार-ज्ञानस्वप्रकाशवाद-अष्ट्रपौलिकत्वबाद... इत्यादि ।
द्वितीय तथक में :- पुण्य पाप नियमविचार-शब्दस्यतन्त्रप्रमाणसिद्धिविचार-पातंजल माध्यस्थ्योदयविमर्श-हिंसा अहिंसा विचार-वेदविहितहिंसासदोषत्वचर्चा-आत्मकालावभाव-नियतिकएकान्तान... इरसाय,
नृतीय स्तबक में :- ईश्वरकतत्वनिरसन-सांख्यपुरुषप्रकृतिवादविमर्श-सांख्यसत्कार्यबादनिरसन...इत्यादि
चतुर्थ स्तवक में :- भावक्षणिकत्यहेतुचतुष्टयधिचार-बाह्यार्थसिद्धि-सन्तानसामीपक्षद्वयचर्चायोग्यानुपलब्धिविमर्श-अभाव अधिकरण अभेदचर्चा-समवाय निरसन-क्षणिकवादयाधकविमर्श-निर्विकल्पसविकल्पज्ञानद्वयचर्चा-'घटपटयोरूपप्रयोगविचार...इत्यादि ।
पाँचवे स्तबक में :- विज्ञानवादियोगाचारमत-उदयन-गंगेशकृतयोग्यतालक्षणसमीक्षा-ज्ञानयालाभदपक्षसमीक्षा-बौद्धदेवेन्द्रचित्रज्ञानसमीक्षा... इत्यादि, ___ छठे स्तबक में :- श्रुणिकत्व साधकहेतुचतुष्टयसमीक्षा वस्तुनित्यानित्यत्वसिद्धि-चित्ररूपवादक्षणिकत्वादिउपदेशप्रयोजनान्वेषण... इत्यादि,
सातवे स्तबक में :-जैन सम्मत अनेकान्तवाद उत्पादादित्रयात्मकसत्त्वविचार-नैयायिकामिमतजातिनिरसन-सामान्यविषेशोभयात्मकवस्तुकाद-द्रव्यास्तिक पर्यायास्तिकनयवाद-नयप्रमाणभेदचर्चाअवयत्रीवाद-अद्वैतवावनिरसन नामादि निक्षेपचतुष्टय एवकारअर्थविचार-सप्तभंगव्युत्पादन-चित्राकार ज्ञानवाद-भेदाभेदसिद्धि-अनेकान्तवाददोषनिरसन....इल्यादि,
___ आठवे स्तबक में वेदान्तमतपूर्वपक्ष-तदुत्तरपक्षप्रपश्चमिथ्यात्व- अज्ञान साधक-आभासवादप्रतिबिम्बबाद सालोक्यादिमुक्तिभेदचतुष्टय-ईश्वरे मायावृत्ति-पत्रीकरण-संन्यासअधिकारिविशेषणतासत्त्वमसिपदार्थ-वेदार्थ अनिश्चय-दृष्टिसृष्टिवादनिरसन-अविद्यानिरसन महाविद्यानुमाननिरसन...इत्यादि
नववे स्तबक में :- मोक्षोपायविमर्श-सम्यग्दर्शन-ज्ञानयोग-ज्ञानकर्मसमुच्चय-सवामुक्तिवादधर्मशुक्लध्यान-मुक्तौ चारित्रसत्ताधिमर्श-इच्छादियोगत्रय... इत्यादि
दसवे स्तबक में सर्वशसिद्धि-धर्माधर्मव्यवस्था-आगमप्रामाण्यप्रतिष्ठा-आगमविषयशुद्धि-अभावहेतुताविमर्श-वेदनित्यतानिरसन-वस्तु- सम्बन्धिस्वभावस्थापन - प्रामाण्यस्वतःपरतोवाद - उपमानस्य प्रत्यभिज्ञान्तर्भाव-चक्षु प्राप्यकारिखवाद-शब्दगुणत्वनिरसन केवलीकवलाहार...इत्यादि,