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२२ ]
विषय
निरन्तर कलाहार की आपसि का प्रतिकार
परमोदारिक शरीर की असिद्धि
नामकर्म का विपाकोदय
कैसे घटेगा
केवलिदेह में अत्यन्त बैजात्यादि कल्पनाओं का निरसन फलाहार सर्वशतादि का विरोधी नहीं
निशदि दोषापादन का निरसन
तिज्ञानादि के आपन का निरसन
आहार क्रिया से जुगुप्सादि दोषों का निरसन
निराहार कालस्थिति मुचक सूत्र से ही महारसिद्धि
व्याख्याकारकृत मंगलाचरण
शब्द को अर्थ के साथ कुछ सम्बन्ध नहीं बोल
शब्द और अर्थ में तादात्म्य का निरसन
शब्द का अर्थ के साथ तदुत्पत्ति
सम्बन्ध अशक्य
पृष्ठ
शब्दार्थ के बीच वास्तवसंन्य मानने में आपत्ति
ર
२१३
२६.४
२१६
२२०
सयोगिकेलि की चिरतर अमर्यादित स्थिति की दिगम्बरपक्ष में आपत्ति सर्वशलाहार चर्चा का उपसंहार २२१ स्तबक - ११ २२३ से ३३६
२२३
२१६
२१७
२१८
૨૮
२२४
२२६
સમ
૨૨૩
शब्द बुद्धिकल्पित अर्थ का वाचक उद्योतकर के आपादन का निरसन २२७ दिग्नाग आचार्य के वचन का अभिवाय
२२८
विषय
[ शाखा विषयानुक्रमणिका
जातिविशेषितव्यक्ति में २२८ संकेत का असंभव अनभिप्रेत अर्थ में संकेत का असंभव २२९ ब्राह्मणादि शब्द से समुदाय का बोध २३०
२३१
सम्बन्ध अथवा सामान्य में शब्दवाच्यत्व का निरसन अभिपत्य प्राप्त शब्द शब्दार्थ नहीं २३२ शब्दजन्यप्रतिभा से अर्थबोध - आशंका २३२ प्रतिभा से अर्थबोध का निरसन
२३३
शब्द से अर्थविवक्षा का
पृष्ठ
अनुमान - अन्यमन
२३३
अर्थ विवक्षा के अनुमान का निरसन २३४ वैभाषिक मत का निराकरण
२३४
शब्द से बोध्य अर्थ
अवास्तव उपसंहार
स्वभाव से गोवाधारता का नियमन अशक्य
स्वभावभेद द्वारा ही व्यक्तिबोध का आपादान
सामान्य विशेषवाची शब्दभेद की उपपत्ति अपोहभेद अपोद्मभेद के लिये सामान्य भनावश्यक
शब्द और लिंग के अप्रामाण्य की आपसि निरवकाश
२३५
२३५
२३६
शब्दवाच्य वास्तवजाति मानने पर आपत्ति
R
बौद्ध मत में अपोह के विविध प्रकार २३७ कुमारिल के आक्षेप का प्रतिकार २३९ कुमारिल के अन्य आक्षेप का प्रतिकार २४० चालार्थ प्राप्ति की आपत्ति का प्रतिकार
२४१
२४२
२४२
ર