SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६ ] विषय माहि प्रत्यक्ष के रूप वर्ष की प्रसिद्धि कुछ कुछ वस्तु के ज्ञान से सर्वतावादी का अभिप्राय कुछ कुछ वस्तु के ज्ञान से सर्वज्ञता पृष्ठ उत्पत्ति में प्रामाण्य परतः प्रामाण्य में अतिरिक्त हेतुओं की आवश्यकता ३७ अनुपपन्न ३८ एक पदार्थ के परिपूर्ण ज्ञान से सर्वशता ३९ स्वभावता पदार्थ का स्वरूप नहीं है - शंका ३८ अपौरुषेय वेद में निःस्वभावता की आपत्ति प्रभाकर मिश्र भट्ट के मतमें स्वतः प्रामाण्य का स्वरूप शेका का प्रत्युत्तर सर्वसम्बन्धिता यह पदार्थ से सर्वथा अतिरिक्त नहीं है ४० सर्वसाधक अनुमान * हेतु में उपाधि की शंका का निरसन ४२ किसी एक घटसाक्षात्कार में विश्वविषयकत्व की सिद्धि ▸ ' शंखः पीतः इस दृष्टान्त में साध्यशून्यता की शंका शंका का प्रत्युतर आगमप्रमाण से सर्वेश सिद्धि ३९ ४० ४३ ४३ ४५ ४५ शब्द के प्रामाण्य में भी गुणों की अपेक्षा ४६ इन्द्रिय में भी दोष की तरह गुण की सत्ता भी वास्तविक अरु वाक्य में अप्रामाण्य की आपति १७ ४७ ४८ ४९ [ शात्रवास प्रभ्धानुक्रमणिका विषय पृष्ट प्रभाकर और मिश्र के मत में लक्षण संगति ४२. भट्ट के मत में स्वतः प्रामाण्य क्षणसंगति प्रभाकर के मत का निरसन स्वतः प्रामाण्य मत में संशय की अनुपपत्ति प्रामाण्यनिश्चय होने पर भी संशय होने की उत्पत्ति- आशंका अभ्यास के बिना प्रामाण्य निश्रय का अभाव- उत्तर नैयायिक के मत में संशयानुत्पत्ति कान परतः प्रामाण्यग्रहण में अनवस्थादोप निरवकाश अभ्यासशा में इमाघनता बुद्धि की प्रामाण्यग्रह में समानता २० कालान्तरभावि इटसाधनता का निश्चय अनुभवरूप प्रामाण्यज्ञान का प्रयोजन संशयहास ܕ ५१ ५२ प्रामाण्यज्ञान में विशेष्यतादि का ज्ञान सम्बन्धरूप से सामग्री के असामध्ये या व्यवसाय के प्रतिबन्धकस्य की शंका ५.६. प्रतिबन्धकत्व की कल्पना में गौरव S ५८ तद्वद्विशेष्यकावच्छिन्नतत्प्रकारकत्वरूप प्रामाण्य लेने पर निर्दोषता की शंका ०८ निर्दोषता की आशंका का निरसन व्यवसाय में भासमान सम्बन्ध का अनुव्यवसाय में भान अबाधित मुख्य विशेष्यता का निवेश अमंगत अतभ्यास दशा में परतः प्रामाण्य का निश्चय ५३ ५.४ 42 ५९ ६० ६० ६२ ६२ ६३
SR No.090423
Book TitleShastravartta Samucchaya Part 9 10 11
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorBadrinath Shukla
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy