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विषय
दशमस्तबका १ से २२२ व्याख्याकारकृतमंगलाचरणम् वर्धमान-पाजिन-बाग्देवता स्तुति १ सर्वशसिद्धि विरोधी पूर्वपक्षघात २ प्रत्यक्ष और अनुमान से मर्चशसिद्धि असंभव किसी भी प्रकार अनुमान से सर्वशसिद्धि अशक्य प्रमेयत्यहेतु में असिद्धि आदि दोष आगमप्रमाण से सर्वशसिद्धि, अशक्य उपमानप्रमाण से सर्वशसिद्धि का असम्भव अर्थापत्तिप्रमाण से सर्वसिद्धि का असम्भव सर्वश अभावप्रमाण का विषय अभावग्राहक स्वतंत्र प्रमाण की सिद्धि ८ अभावग्राहकपमाण अनुमानात्मक नहीं है अभावप्रमाण के दो प्रकार अधिकरणज्ञान को हेतु मानने में आपत्ति का निवारण आलोक की हेतुता और अहेतुता की आपत्ति अभाचप्रमाण में अपरोक्षता की आपत्ति का निवारण इन्द्रिय में अभावमादकता के अनुमान का निराकरण अभाष ज्ञान इन्द्रियजन्य होने की दीघ आशंका प्रत्यक्ष से सूक्ष्म-दूरवी वस्तु का ग्रहण अशक्य धर्म-अधर्म आदि का ज्ञान प्रत्यक्षादि से असम्भष
विषय सर्षषस्तु विषयक स्पष्टशाम का अमम्भव समाधिमग्नावस्था में बचनप्रयोग अशक्य धर्म-अधर्म की व्यवस्था वेदमूलक १९ नित्यवेद में दोषों का असम्भव अप्रमा की तरह ममा के भी अतिरिक्त हेतु की आपादक शंका का निवारण २० विशेषदर्शनाभाव से प्रमा में अतिरिक्त हेतु की सिद्धि वैदिक प्रमा के लिये आप्तोक्तत्व का निश्चय अनावश्यक घर्णात्मकंधेद में नित्यत्व का उपपादन २२ महशशब्द से बारबार उच्चारण की उपपत्ति अनुचित
२४ शब्द के नित्यत्वपक्ष में सर्वदा सर्वोपलब्धि प्रसंग का निराकरण २४ शब्दमित्यत्वपक्ष में गौरव का परिहार २६ कोलाहल में तम्तमनामतीति की
का परिहार विषयिता सम्बन्ध से शुकादि का कादिवर्ण जन्यतावच्छेदक वेदप्रामाण्य के लिये सर्वश कर्ता अनावश्यक स्मृष्टि का प्रारम्भ और अन्त असंगत है ३० इष्पापूर्तादिकर्मों का स्वरूप वेद से ही वर्णाश्रमादि की व्यवस्था ३२ प्रत्यक्ष के अभाव से सर्यशाभाव की सिद्धि अशक्य चार्वाकमत का निराकरण सर्वश का माधक अनुमानप्रयोग याधादि दोपों का निराकरण
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