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श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः 4881
शास्त्रवार्त्ता- समुच्चय
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और
उसकी व्याख्या
स्याद्वाद - कल्पलता
हिन्दी विवेचन
स्वचक ९-१०-११ [ अन्तिमः सप्तम: खंड : ]
मूलमन्धकार १४४४ ग्रन्थप्रणेता आचार्य श्री हरिभद्रवरीवर
व्याख्याकार
न्यायविशारद महोपाध्याय श्री यशोविजयगणिवर
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• हिन्दी विवेचनकार
पंडितराज श्री बदरीनाथजी शुक्ल [ निवृत उपकुलपति- संपूर्णानन्द संस्कृत युनिवर्सिटी - वाराणसी |
- अभिवीक्षणकार -
प. पू. शास्त्रमर्मज्ञ आचार्य श्री विजयभुवनभानुमूरीश्वरजी महाराज
- प्रकाशक
दिव्यदर्शन ट्रस्ट ६८ - गुलालवाडी- मुंबई - ४
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