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स्याक टोका एवं हिन्दी विवेचन ]
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कथम् ? इत्याहमूलम्-मृद्रव्यं यन पिण्डादिधर्मान्तरविवर्जितम् ।
___तमा तेन चिनिर्मुक्तं केवलं गम्यते कचित् ॥ ३६ ।। मृद्रव्यं यदु-यस्माद् न पिण्डादिधर्मान्तविजितं केवलं क्वचिद् गम्यते। तेन द्रव्यात्मकाभेदमात्राऽभ्युपगम पिण्डादिभेदाऽप्रसिद्धिः । तद् वा=पिण्डादिधर्मान्तरं तेन मृद्रव्येण विनिमुक्तं केरलमाकारमात्रमेव, न क्वचिद् गम्यते । तेन पर्यायाऽऽत्मकभेदमात्राभ्युपगमे मृद्रव्यादिभेदाऽप्रसिद्धि ।। ३६ ।।
[ द्रव्य और उसके धर्म एक दूसरे को छोड़कर नहीं होते ] पूर्व कारिका में एकान्तभेद आदि मानने पर द्रव्य-पर्याय के अनुभव की जो अनुपपत्ति बतायो गयो, प्रस्तुत ३६वीं कारिका में उसी का उपपादन किया गया है। कारिका का अर्थ इस प्रकार हैमत्तिका-रूप तस्य कहीं भी पिण्ड प्रावि अन्य धर्मों से मुक्त रह कर केवल मत्तिका के रूप में नहीं उपलब्ध होता है, इसलिए पधि केवल प्रध्य रूप अभेद का ही अस्तित्व माना जाएगा तो पिण्ड प्रावि मेवात्मक पर्यायों की अनुपपत्ति होगी, इसलिए द्रव्यात्मक एकान्त प्रभेद को मान्यता नहीं दी जा सकती। इसीप्रकार पिण्ड आदि पर्याय मत्तिका से मुक्त होकर केवल प्राकार मात्र में कहीं भी उपलब्ध नहीं होते, अतः पिण्ड आदि पर्याय रूप भेदों का ही केवल अस्तित्व यदि माना जायगा तो मृतिका रूप द्रव्य के अनुभव का अपलाप होगा अतः एकान्त अभेव को मी मान्यता नहीं दी जा सकती ।। ३६ ॥
ततः किम् ? इत्याह - मूलम-ततोऽसत्तत्तथा न्यायादेकं चोभयसिद्धितः।
__ अन्यत्रातो विरोधस्तवभावापत्तिलक्षणः ।। ३७॥ ततः तस्मात तत्-मृद्रव्यापिण्डादि तथा परस्परनिरपेक्षम् न्यायात अननुभवलक्षणात् असत् असिद्धम् एकं च एकमेव मृद्रव्यापिण्डादि 'असत्' इति योगः, उभयसिद्धितः-तथोभयोपलब्धः। यत एवम्, अन्यत्र केवलभेदपक्षऽभदेपो वा, अतो विरोधः, तदभावापत्तिलक्षण द्रव्य-पर्यायाभावप्रसङ्गलक्षणः, स्वानभिमतार्थोपलम्भे परस्य स्वेनैव स्वाभिमतार्थोपलम्भेऽपि परेणाऽसद्विषयत्वस्य वक्तुमशक्यत्वात् , स्वतन्त्रधर्मधर्मिस्वीकारेऽपि वैशेषिकादीनां तत्र भेदाभेदधियोरेकतरभ्रान्तत्वे तदितरभ्रान्तत्त्वस्य तुल्यत्वात् । ततः सामानाधिकरण्यानुभवाधरूपो विरोधो न भेदाभेदयोरिति सिद्धम् ।
[ परस्पर निरपेक्ष द्रव्य और धर्म असिद्ध ] कारिका ३७ में पूर्व कारिका के कथन का फलितार्थ बताया गया है, कारिका का अर्थ इस प्रकार है-पिण्ड आदि धर्मों से रहित मृद्रव्य की उपलब्धि न होने से एवं मृव्य से मुक्त केवल