________________
पृष्ठ
पृष्ठं
विषय: १०४ बौद्धकृत प्रश्नों का समाधान १०५ उत्पत्तिवद् निवृत्ति में घट निरूपितत्व
की उपपत्ति १०६ घटनिवृत्तिरूप से कयाल भंगापत्ति प्रत्युत्तर १०६ घटनिवृत्तिसंतानरूप से कपालसंतति की
चिरकालस्थायिता १०६ 'घटनाशो नष्ट:' इस व्यवहार की आपत्ति
का प्रत्युत्तर १०७ तुच्छत्व के विविध विकल्प का निराकरण १०८ नाश में मुद्गरादिहेतुता अनिवार्य १०६ अभाव भाव हो जाने की आपत्ति का
प्रतिकार १०६ अभाव और भवनशीलता में कोई विरोध
नहीं है ११० 'नास्ति' बुद्धिविषयता से अहेतुकता सिद्ध ११० मुद्गरप्रहार के बाद घटाभाव होने से
बौद्ध कथन असार १११ विनाशवत् उत्पत्ति में स्वरूपभेद की
समान आपत्ति १११ नाश में हेतुभेद से व्यक्तिभेद स्वीकार्य ११२ प्रतिव्यक्ति मुक्तिभेद आपत्ति का उद्धार ११३ "विनाशो नष्टः' यह आपत्ति अशक्य ११४. बौद्धमत में शिकारी हिसक नहीं होगा ११५ सन्तानोत्पत्ति का असंभव । ११६ शूकरादि में स्वहिंसकत्व की बौद्धमत में
प्रसक्ति ११६ निमित्त कारणरूप में जनकता का
परिष्कार निरर्थक ११७ हिंसा के परिणाम से हिंसकत्व की प्रालि
चौद्धमत में अघटित ११८ संक्लेश बौद्धमत में सिद्ध नहीं ११९ शूकरादि के संनिधान में संक्लेशजनन
स्वभावता अन्यत्र समान ११९ आर्थिकत्व में विनिगमनाविरह १२० नाश बत् उत्पादजनकत्वोच्छेद आपत्ति
-अन्य मत
विषयः १२१ सरस्वभावजनकता में व्यापार निष्फलता
आपत्ति १२२ असत्स्वभावजन्य की जनकता का दूसग
विकल्प अयुक्त १२३ उभयानुभयस्वभाव जन्य की जमकता में
विरोधादि दोष १२३ अन्य प्रकार से अनिष्टापादक अन्य
आचार्य का मत १२४ प्रत्यक्षविरोध का उद्भावन ध्यर्थ १२५ प्रमाणाभाव से व्यवहारनिषेध बौद्ध को
मान्य-नाशहेतु अयोग चर्चा समाप्त १२६ अर्थक्रिया समर्थत्व हेतु युक्तिसंगत नहीं १२६ अर्थक्रिया स्वजनक स्वरूप नहीं १२७ अर्थक्रिया का धारकत्व और नाशकत्व
अनुपपन्न १२७ अर्थक्रिया स्वजनक भिन्न है-द्वितीय विकल्प १२८ असत् सत् नहीं हो सकता १२६ भूति ही क्रिया है-इस पक्ष में दोषापत्ति १३० क्षणिकत्व में अर्थक्रिया सामर्थ्य अयुक्त १३१ ऋम-योगपद्य से अर्थक्रिया का स्थिर वस्तु
__ में असंभव नहीं १३१ सर्व अर्थनिया का एक ही क्षण में जनकत्व
का नियम असिद्ध १३२ काल असिद्ध होने पर अक्रियाक्रम भी
असिद्ध
१३२ एक हेतु से ऋमिक कार्य प्रत्यक्षसिद्ध १३४ सामग्री के निर्वचन का असम्भव-पूर्वपक्ष ५३६ सामग्री का स्पष्ट निर्वचन-उत्तरपक्ष १३७ तीसरे परोणाम हेतु की परीक्षा १३८ पंडितमान्य परिणाम व्याख्या १३९ बौद्धसम्मत अनित्यत्व वस्तुधम नहीं १४० 'तदेव' और 'न भवति' का परस्परविरोध १४१ क्षीर-गोरस दृष्टान्त से सान्वय परिणाम
की सिद्धि १४२ असत् सत् नहीं होता, सत् असत् नहीं होता