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पृष्ठ विषय:
पष्ट
विषयः १४३ वस्तु नित्यानित्य उभयरूप कैसे ?- १६२ नव्यमतानुसार अव्याप्यवत्ति रूप की वशेषिकों का पूर्वपक्ष
___कल्पना में गौरब-प्राचीन सम्प्रदाय १४७ नित्यत्व-अनित्यत्व के सहसमावेश में विवाद १६३ नव्यमत की ओर से गौरवापादन-पूर्वपक्ष १४६ वैशेषिकों के विस्तृत पूर्वपक्ष का जैनों को १६४ अन्ततः अव्यायवृत्ति नीलादि पक्ष में ओर से प्रतिकार
लाघव-पूर्वपक्ष चालु १४६ तत्ता-इदन्तानिरूपित एकस्वभाव वस्तु १६५ गौरव के विरुद्ध साम्प्रदायिक चित्ररूपहोने की शंका
वादी का उत्तरपक्ष १५० विशेषणनाश से विशिष्टनाश अवश्यमान्य १६६ अव्याप्यवृत्ति रूपवादी नव्यमत में विशेष १५० परम्परा सम्बन्ध सेमाश अघटित
गौरव १५० शुद्ध-विशिष्ट भेद पक्ष में शुद्धसत्ता संदेह १६७ अवच्छेदकता सम्बन्ध से पुनः स्पोत्पत्ति का निराकरण
के वारण की शंका १५१ शुद्ध-विशिष्ट अभेदरक्ष में गौरव निरसन १६७ एक चित्ररूपपक्ष में ही लाधव १५१ सास जगद् पवित: क्षणभंगुर है
१६७ व्याप्यवृत्तिरूप में सावच्छिन्नत्व की शंका १५२ काल जीबाजीव के वर्तमान पर्यायरूप है १६८ व्याप्यत्तिरूप में सावच्छिन्नत्व की शंका १५३ एक बस्तु में नित्यत्वाऽनित्यत्वोभय की
का परिहार लोकसिद्ध प्रतोति १६९ प्रतिबन्धकता की कल्पना न करने से १५४ दंडत्वादिस्वरूप होने से हेतुता अन्याप्य
___ लाघव-चित्ररूपवादी वृत्ति न होने की शंका १६२ व्याप्यवृत्ति पदार्थ निरवच्छिन्न होता है १५४ बोध एकविशेष्यक होने को शंका का १७० विजातीय चित्र के प्रति रूपकारणता में निराकरण
विशेष मत १५५ विरोधी उभय के एकत्र समावेश पर शंका १७१ चित्रेतररूपाभाव कारणतावादी मत विशेष १५५ वृत्तित्वाभाव अव्याप्य वृत्ति न होने की शंका १७१ भिन्न भिन्न चित्ररूप की विभिन्न कारणता १५६ 'वृक्षे पटे न कपिसंयोगः' इस प्रयोग में
अन्य मत प्रामाण्य संका का निवारण १७२ अनेक चित्ररूपसहोत्पत्तिवादी उच्छ सलमत १५७ चित्ररूपवादप्रारम्भ:
१७३ व्याप्यवृत्ति नीलपीतादि उत्पत्तिवादी १५७ चिअरूप के बारे में नव्यनयायिक .
अन्य मत १५८ एक चित्ररूप के साथ कार्य-कारणभाब
१७३ पीतावयव में नीलचाषापत्ति का प्रतिकार
में गौरवादि १५८ एक चित्ररूप सिद्ध करने का विस्तृत प्रयास
१७५ रूपविहीन घटवादी विशेष मत १५८ नीलाभावादिषट्क की कारणता की आशंका
१७६ चित्ररूप के विषय में व्याख्याकार की
मीमांसा १५२ कार्य सहभावेन अभावषट्क कारणता १५९ निरवच्छिन्नविशेषणताघटितस्वाभयसमवेत
१७६ रूपविहीन घटस्थिति अनुभवविरुद्ध
१७.७ विलक्षणरूप का अनुभव एकस्वपरिणाम सबन्ध से कारणता की शंका १६० एक चित्ररूपवादी को ओर से पुन:
__ का विरोधी नहीं स्वपक्षस्थापन १७७ एक समूहालम्बनज्ञानबत् एकरूपोत्पत्ति १६१ चित्ररूपवाद में नव्यमत समप्ता
-दीधितिकार