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________________ विषयानुकमा पृष्ठांक विषय दुनीयस्तबक पर तदुग्यक्तिलप कार्यसिद्धि के लिये मी | पृष्ठांक विषय झिया मनावश्यक १ व्याख्याकार मंगलाचरण , कमेबाट का युक्तिसंपर्भ " निष्कलंक ईश्वर को प्रणाम ॥ मोम्य मोक्ता सौर कृत का भोग २ ईदघर जगत्का सवार प्रारम्म ८३ कर्मविरह मैं मग पाकमधाम्य ३ पातचल मयानुसार सर का स्वरूप कर्मविचित्रता से मोरवषिविधता , प्रफुनिक भाषिसीन कष प्रकार * नियातहेततापक्ष में कार्यसमानतापति ৮ কাহা- মীর বিষাক্ত কর বস ५६ निमिषेधिष्य नियति से भनुपपक्ष ५ क्लेश की जन्मभूमि अषिचा ४५ नियति से मित्र को भेगक्रमानने में भापति , षर का सहजसिद्ध चतुक्षय " विशिष्ट रूप से कार्य-कारणमात्र की बसंगति ६ मणिमा भावि मा प्रकार का एश्वर्य का कार्य कारणावतक नहीं हो सकता पानजनमत में ईश्वर जगतकाईव पर नितिमात्र को मानने पर शास्त्रव्यर्थता जगरकत्व में यायिकों का मभिगम ५० अमापवाद में विश्व की अनुपपत्ति कायदा जानु । " एकास में समस्त विश्व की उत्पत्ति का "मामत्व प्रागभाषप्रतियोगि सस्वरूप है मनिट । सफकत्व कसाहित्य या कर जन्यत्व ? १ कालका माधार लेने पर स्षमावषाव का १० शरीरजभ्यत्व अपराध की शंका का समाधान पाग । ११ स्पोपामानगोधरस्वजनकाटायनपत्य१२ कुर्वदरूपता का खंडन मावि अन्यत्वरूप मास्करब ३ स्वभावान का निरसन १२ 'उपमहानगोचर' पक्ष की सायरा 1, विना हेतु मावोत्पत्ति मानने में सवपन- २३ बजनकाशाजनक पत्र की सार्थकता व्याघात समनत्य और कन्यस्य का पितनिषेश १४ कारखाव का निरसन, पक साप सर्वकार्यो । १४ कृति मैं खोपादानगीपराव का निवेश स्पारका मनि १५ व्यग्मक कायपत्ता हेतुक भनुमान ५५ तन्तु में घटोत्पति का पूषण १६ मीसित या पृथक भानापिकी सभ्यता ६ एकान्स कर्मवाद का निराकरण पर माक्षेप , कर्मक्षय का हे मानपोग १५ विस्थादिपक्षक अनुमान Garg की अष्टमकारणासापेक्षता १८ भायोजन-यणुका नक्रियाहेक भनुमान ९८ निर्यात और म्यमाष की तुता में मास्तर भारत से परमाणुक्रिया की पसि की शंका ६६ परिशिष्ट १-द्वितीयस्तमकमूलगामा-मकार- १६ चेष्टास्व पाधि की माशंका पनुक्रम २० माइतिपतनामाषपक्षक अनुमान १.५ परिशिष्ट २-दीका में उच्च पापांक्ष २१ इन्द्रादि देववाओं से सिरसाधनता की , शुद्धिकरण मार्शका २२ प्रयाप्रक्षय से विरसिद्धि मनुमान २५ व्यवहार प्रवर्तकरूप में ईश्वरसिदि द्वितीयस्ता समाप्त .. कलाकारि से ही मन्यासिद्धि की शंका
SR No.090418
Book TitleShastravartta Samucchaya Part 2 3
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorBadrinath Shukla
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size5 MB
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