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মিথযদিন: पृष्ठांक
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विपय २६ मुक्ति का पाय एकमात्र कर्मक्षय
६। मरणेच्छाजन्येमाऽविषयष की भनुपपत्ति ४. मक्षवले सम्भाविस चार हेतु
१२ मरणफलस्वोधविधियोचितकर्तव्यताका४१, मरिसारि उत्कर्ष से साध्य
___ यस्वरूप मष्टाऽद्वारकत्व से भी मनिम्तार माशाजनन
. नजद का दिमाठमण ४३ "न विस्शत सर्वभूनाति' ऐनमायार्थ , प्रमावोस अनिल प्राणविषोग हिंसा है ४४ व्याधिानवतेबा के समान सोचता ६३ अपमत पशा जास हिसा मे अतिध्याग्निका ४५ फलास्तरप्राप्ति के माय मौत्मनिकषादिन ।
निधारण भविहिन हिंसा महोय है-पूर्वपश्वशंका बेन- ५ अनशन भाभि में अतिग्यामिनिषारण पिडित हिंसा भापवाधिक नहीं है मत्तरपक्ष ६४ देर के सयभाग्य का हेतु - अयोतिष्टोम मादि या सीव है-मांस्य है। भाजाधम भाषिकुमान देशविरुद्ध है ४८ महाभारत-मनुस्मृति और व्यास का मत ६५ अत्मा ही सभी कर्म का कसा है
यीय हिमा के पात्र में भीमांमक मट्ट 5 कमजनिममूढता से महित में प्रवृत्ति Ya विशेष विधान से सामाग्यविधि की बाध शंका कामानि की तुल! का प्रासनिक बिोचन
भग्निष्टोम और श्येन याग में भेद मीमशंका ६८ कालबादी का युक्तिसंपर्म ५० परिय साविषय में प्रभाकर मत
६६ साष्ट स्थिति-व्यय कालजनित है ४१ भट्ट और प्रमाकर मत में ऐश्य और भन्तर ., पिना मूग दात परिपाक की भराक्यता ११ विधिविषय में भी निषेध मावकाश-उत्सरपा ७० काम अन्यभामिदि का विरोध १२ श्येनागरे विषय में प्रमाकरमत का खंडन * अणरूप अतिरिक्त कामा पानी का नव्यमत 1.३ पनीयाहिंसा के प्रचार में नैयायिक मत ७२ स्वमाषवादी का युरुिससंदर्भ ,, नयायिक मत का वशन
७३ बमाभिमपदार्थकारणता का अपोष ५५ गुणपिधि मौर अधिकार विधि का प्रसंग By विना स्वभाव कन्टुकारि के पाक को ५५ सामाग्यविधि यथारूप में मक्षण
मशवथना ५४ सामान्य विधिसंकोच में अन्य युक्ति का स्वइन । * सामग्रीपाद प्रयुक्त आपत्ति का समाधान ५६ सामाम्बयिपि संकीम के लिये शपयार्य त्याग ७६ समान सामान से भी मिमिनकायों की के अनावश्यकता की भार्शका का बंधन
उपपति फल प्रति अग्निटीमाश्येनयाग का माम्य ७६ वीजत्व को अपेक्षा गानुकूल परिणति५८ भरष्ट द्वारकम जोहायक व्यापार ही दिमा
स्वमासे कार्योत्पाद में भौचित्य
है-पूर्पक्ष ७७ सहकारी चक्र की व्यर्थ कल्पना ५६ भरष्टाहार विशेषणानुपति-उत्तरपक्ष । , कायें से कारणानुमान मंगापत्ति प्रसिकार ___षजनमरणमछ। विशेष्यष सम्माध की नियसिषावा यक्तिसंदर्भ
मनुपपत्ति ७५ जिसकीजवाधिपसे-बिसरूप में सत्पत्ति २० बयाभपसंयुकासंयोगरूप परम्परा संबंध की
नियति से अनुपपति ८. पचनस्यमान होने पर भी पार की मशक्यता ६१ मरणवनकाष्टाजनकन्या के निवेश से । ६५ कार्य माध्यमात्र का सम्पक निश्रय
भसम्मव | , नियति बिमा कार्य में स्मिकस्यापत्ति ..