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________________ स्वाकडीका और हिन्दी विवेचना शास्त्रवार्तासमुच्चयः । मूलम् -प्रणम्य परमात्मानं वक्ष्यामि हितकाम्यया । सत्त्वानामल्पदुद्धीनां शास्त्रवार्ता-समुच्चयम् ।। १ ।। (स्या०) हारिभद्रं वचः क्वेदं बहुतर्क-पचेलिमम् । क्वच इं शास्त्रलेशज्ञस्ताइक्तन्त्राविशारदः ॥३॥ श्रमो ममोचितो भावी तथाप्येष भुभायतिः । अईन्मतानुसारेण मेधेनेव कृषिस्थितिः ॥४॥ (स्या०) इह खलु निखिलं जगदज्ञानवान्तनिरस्ताऽऽलोकमवलोकमानस्तदुपचिकीर्षुभगवान् इरिभद्रसरिः' प्रकरणमिदमारब्धवान् । तत्रादौ प्रारिप्सिदग्रन्थस्य निर्विघ्नपरिसमाप्तये मङ्गलमाचरन् प्रेक्षावत्प्रधृसयेऽभिधेयमाह-प्रणम्येति तीसरे पध में व्याख्याकार ने मूलग्रन्थ के प्रतिपाद्य विषयों की बु यता और अपनी अस्पक्षता बताते हुए पुनः अपने विनय की सूचना दी है। पथ का भाशय निम्नाहित है। हरिभद्रसूरि का वचन 'शास्त्रवार्तासमुच्चय' अनेकविध तकों द्वारा पचनीय-अयबोधयाग्य है। उसमे' जो विषय वर्णित है, ये अनेक तकों पर आश्रित तथा भनेक तकों द्वारा ज्ञातव्य है । मूलकार की अपेक्षा व्याख्याकार को शास्त्रों का अत्यन्त संक्षिप्त सान है। वे शास्त्रवार्ता समुश्शय जैसे तकपूर्ण गम्भीर शास्त्र को समझने में दक्ष नहीं है। अथया मूलग्रन्थकारके समान वे अनेक शास्त्रों के मर्मश नहीं है । अनः शासवार्ता-समुच्चय' की व्याख्या करना उनके लिए एक दुष्कर कार्य है । ऐसा. व्याख्याकार का विनम्र भाशय है। बौथे पद्य का आशय यह है शास्त्रवार्ता समुच्चय की व्याख्या करना व्याख्याकार के लिए यद्यपि एक दुःसाध्य कार्य है फिर भी वे न्याख्या करने के अपने प्रयास को उचित मानते है. क्यों कि अईन्मत-जैनसिद्धांत के प्रति उनका अनुराग और आदर है। उनका विश्वास है कि ग्रन्थ की व्याख्या करने में जो उन्हें थम होगा उसका परिणाम शुभ होगा। उनकी भारणा है कि जैसे मेघमण्डल जलवर्षा से ऋषि की स्थिति को पुट करते हुये उसके भविष्य को सुन्दर बनाता है उसी प्रकार जैन सिद्धांतों के प्रति अपना प्रेम सिद्धांतों का बोध उनके व्याख्याश्रम को परिपुष्ट कर उसके भविष्य को उत्तम बनायेगा । उत्तर काल में उनकी व्याख्या को उपयोगिता होगी और उसकी निर्मल प्रशंसा होगी।
SR No.090417
Book TitleShastravartta Samucchaya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorBadrinath Shukla
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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