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विषय
पृष्ठाङ्क विषय विज्ञानवादो को आत्मविरोधिनी शंका २८० सुपात्रदानादि क्रिया से शक्ति का आविर्भाव अहन्त्वाधाकारालोकत्ववादो माध्यमिकमतका
शक्य नहीं ३०५ खंडन २८३ सुपात्रदानादि से व्यङ्गय शाश्वतशक्ति के स्वाप्रकाश मत में सदाग्रहण की भापत्ति का
अभ्युपगम में दोष ३०६ परिहार २८४ शक्ति के आवारक अतिरिक्त अदृष्ट को सिद्धि ३०६ सदा अग्रहण की उपपत्ति के लिये स्वप्रकाशा- अशुक्रियाजन्य पाप और शुभक्रियाजन्य ग्रह छोडने को सलाह-पूर्वपक्ष २८४
पुण्य ३०७ सुषुप्तिकालमें मानसप्रत्यक्ष क्यों नहीं होता ! २८५ ज्ञानमात्ररूपवासना पक्ष में मोक्षाभाव की सुषुप्तिकालमें आत्मज्ञानोत्पत्ति का परिहार २८६
आपत्ति ३१० सुषुप्ति में जीवनयोनियत्नकी सत्ता आवश्यक
अदृष्ट का शक्ति-वासनारूपत्व अघटित है ३१०
उत्तरपक्ष २८७ पात्मा से भिन्न पौदगलिक अदृष्ट का स्वरूप ३११ नास्तिकमतनिराकारण का उपसंहार २८८
किवावंसात्मक व्यापार से मध्य के मतार्थत्व परतःप्रकाशज्ञानवादी मीमांसकमत का खंडन २८८
की शङ्का-उच्छंखल ३१२ ज्ञाततालिङ्गक अनुमान का खंडन २८९ संस्कार उच्छेद आपत्ति का परिहार ज्ञातसा से ज्ञान का अनुमान अशक्य है २९०
प्रायश्चित्तअभाववकर्म से फलोत्पत्तिका
समर्थन मात्मा के बारे में बौद्धमत २९१
११३ मात्मस्वरूप की पहचान
२९२ अङ्ग-प्रधान भावानुपपत्ति का परिहार ३१४ आत्मवैचित्र्य प्रयोजक अदृष्ट की उपपत्ति २९३ उच्छखक मत का अपहरण कार्यवैचित्र्य का उपपादक अदृष्ट २९५ योगनाश्यत्वरूप से अदृष्टसिद्धि कारिका ९२ का वैकल्पिक अर्थ २९५ अदृष्ट के भिन्न भिन्न दर्शनाभिमतभिन्न भिन्न भदृष्ट के दो भेद धर्माऽधर्म २९६
___ नाम ३१७ भदृष्ट का स्वीकार आवश्यक है २९७ अदृष्ट और आत्मा के सम्बन्ध को प्रक्रिया ३१८ फलमेदोपपत्ति के अन्यप्रकार का निरसन २९७ इन्द्र को ठगने के लिये चार्वाकमतप्ररूपणा की कर्म भौतिक होने से चार्वाक के मत का
बात युक्तिशून्य ३१९ औचित्य २९८ नास्तिकदर्शन सर्वथा त्याज्य है--उपसंहार ३२० अदृष्ट में जातिभेद अप्रमाणिक नहीं है २९९ परिशिष्ट -१ मूल लोक अकारादिक्रम ३२२ अदृष्टपौद्गलिकत्व का अनुमान ३०१ -२ उद्धत लोकादि शक्तिरूप अथवा वासनात्मक मदृष्ट का मत ३०३ , -३ उल्लिखित न्याय शक्ति का आकस्मिक अस्तित्व प्रसिद्ध है ३०४ शुद्धिपत्रक
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