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विषय
पृष्ठाङ्क
२२०
आपत्ति का उद्धार अमवांश में निर्विकल्प की मापत्ति भी नहीं है २२० अवान्तर पूर्वपक्ष समाप्त २२१ तथापि केवल अभावत्वनिर्विकल्प की आपत्ति २२१ घटपट के अज्ञान में भी 'घटपट न' इस अध्यक्ष की आपत्ति २२१ 'अभावो न घटीय:' इस प्रत्यक्ष में अन्वय व्यभिचार अभावत्व निर्विकल्प की आपत्ति का अंगीकारविस्तृत पूर्वपक्ष समाप्त २२३ पूर्वोक्त सन्निकर्ष से 'घटाभावोऽमावश्च'
२२५
समूहालम्बन की आपत्ति - उत्तरपक्ष २२४ इदन्त्वादिरूप से अमावप्रत्यक्ष न होने की आपत्ति २२४ सामान्य कार्य की सामग्री से विशेषकार्य की अनुपपत्ति घटादिज्ञांनघटित सामग्री में विशेषसामग्रीव की शङ्का का उत्तर २२६ पूर्वोक्त नियम में विशेष प्रवेश से दोषाभाव की शाका उत्तर विशिष्ट कार्यकारणभाव से निर्वाह होने की शङ्काका उत्तर अन्धकार को द्रव्य मानना ही उचित है। आलोकप्रतियोगिको भावमात्र तमोव्यवहार विषय नहीं है २२८
२२७
आलो कान्यद्रव्यवृत्तित्वविशिष्ट आलोकाभाव तमव्यवहार का विषय नहीं है नियतसङ्ख्याक आलोक का प्रभाव अन्यकार नहीं है २२९
२२२
२२७ २२८
२२९
विषय
अन्धतमस - अवतमस के लक्षण को
अनुपपत्ति
'तम उत्पन्नं नष्टं वा प्रतीति की
पृष्ठाङ्क
२३०
अनुपपत्ति २३२
'नोलं तमः ' प्रतीति में भ्रमरूपत्य की आपत्ति २३३ वर्धमान उपाध्याय के मत का खण्डन २३३ सक्रियत्वादि प्रतीति की अनुपपत्ति २३४ आश्रयगति का अनुविधान द्रव्य में बाधक नहीं हैं २३५
व्यवहार विशेष से अन्धकार में अलोकाभाव भिन्नत्व की सिद्धि
आलोकज्ञानाभाव हो तम हैं- प्रभाकर प्रभाकरमत का परिहार
२३७
आरोपित नीलरूप ही तम है- कन्दलोकाश्मत २३८ कन्दलीकार मत का खण्डन
२३८
'नीलं तमः ' प्रयोग में नीलपद विशेष्य
वाचक है
शिवादित्यकृत तम के लक्षण का निरसन
२३५
२३६
२३९
२३९
२४०
अन्धकार द्रव्यत्ववाद समाप्त आत्मसिद्धि का उपसंहार
२४०
२४२
आत्मा का प्रत्यक्षदर्शन क्यों नहीं होता ? २४१ अनुपलब्धिमात्र अभावसाधक नहीं है। अहं प्रत्यय में भ्रम की आशंका 'अहं' प्रत्यय प्रामाणिक है
२४४
२४५
२४५
'अ' प्रत्यय प्रामाण्य का समर्थन 'अहं गुरु: ' इस ज्ञान की भ्रान्तता में युक्ति २४६ षष्ठी विभक्ति का अर्थ केवल सम्बन्ध या भेदविशिष्ट सम्बन्ध
२४०