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विषय
पृष्ठाङ्क विषय
पृष्टाङ्क भामा इन्द्रिय से भी भिन्न है
अन्धकार को द्रव्य मानने में उसके चाक्षुष किसी भी कार्य की उत्पत्ति अहेतुक होती
की अनुपपत्ति-पूर्वपक्ष २०८ नहीं है १९१ आलोकसंयोगहेतुता का समर्थन २०९ उत्पत्ति और विनाश द्रव्य से सर्वथा पृथन्छ मनःप्रतियोगिक विजातीय संयोगसम्बन्ध नही है १९१
से हेतुता में गौरव उत्पत्ति-स्थिति-नाश की समानाऽसमान
२१० कालीनता १९२
मन्धकार के चाक्षुषप्रत्यक्ष की उपपत्तिउत्पादादि अतिरिक भी है भाषक्षणसम्बन्धा
उत्तरपक्ष २११ मालोकर्सयोग के व्यभिचार का वारण करने दिरूप नहीं है १९३
का निष्फल प्रयास २११ 'जीव उत्पन्न हुआ' इस व्यवहार की आपत्ति
का निराकरण १९५
क्षयोपशमरूप चाक्षुषयोग्यता द्रव्यचाक्षुप के गुरुधर्म की अवच्छे इकता मान्य है १९५
प्रति कारण २१२
मालोक संयोग को कारण मानने में चक्षुपरमाणुनित्यता-व्यवहारभ्रान्तता की आपत्ति और परिहार १९६
कारणताभन की आपत्ति २१२ उत्पत्ति और नाश के विषय में व्यास को
मालोकसंयोग की कारणता मानने में गौरख २१२
सम्मति १९७ प्रकाशज्ञान बिना अन्धकारज्ञान न होने उत्पत्ति और श के विषय में दूसरे विद्वानो
की आपत्ति २१३ की सम्मति १९७ अभावज्ञान में प्रतियोगिज्ञान कारणतः पर मन्धकार अभावरूप नहीं है
१९८
विचार-पूर्वपझ २१३ उद्भूतरूपव्याप्य उद्भूतस्पर्श की अन्धकार 'सदभाव.' के निवेश में प्रमाणाभाव २१५
में आपत्ति १९९ 'न' ह्याकारक प्रत्यक्षापत्ति-उत्तरपक्ष २१५ उद्भूतस्पर्श में उद्भूतरूप की व्याप्ति नहीं है १९९ अभावरूप से प्रतियोगीअधिशेषित अभाव नीलित्रसरेणु में व्यभिचागपत्ति के उद्धार
प्रत्यक्षइष्टता का खण्डन २१६ का प्रयत्न २०. योग्यधर्मावच्छिन्नज्ञानत्वरूपेण हेतुता मानना अनुभूत रूप में उपभूतरूपजनकता पर प्रश्न २०१
निर्दोष नहीं है २१६ त्रसरेणु के स्पार्शन प्रत्यक्ष को आपत्ति २०३ 'न' इत्याकारकप्रत्यक्षापत्ति के वारण का अन्धकार में पृथिवीत्व की आपत्ति की शङ्का २०४
प्रयास-पूर्वपक्ष २१७ स्पर्शयुक्त अवयव से अन्धकारोत्पत्ति की पूर्वपक्षी का अवान्तर विस्तृत पूर्वपक्ष २१८
आपत्ति २०६ 'न' इत्याकारक प्रत्यक्ष को पुनः भापत्ति २१९