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विषय
____ पृष्ठाङ्क विषय
पृष्ठाक भेदकविशेषणाभाव में भूतो में स्वभावभेद अचैतन्य का प्रयोजक प्राणाभाव या नहीं हो सकता १६३
आत्माभाव ! १७८ स्व का स्वरूपमात्र भूतो का भेदक नहीं हो नलिका से वायुसंचार से प्राण में चैतन्य के
सकता १६४
अन्वयव्यतिरेकाभाव की सिद्धि १७९ शरीरगतधर्म से घटादिभूतो का भेद नहीं नलिकासंचारित वायु प्राण से भिन्न नहीं है १८०
हो सकता १६५ आत्मधर्मानुविधान से चैतन्योत्पत्ति का प्रयोजक चैतन्य का उपादान कारण शरीर नहीं है १६६
मात्मा ही है १८१ कार्यभेद से स्वभाव भेद की आशंका १६७ प्राण-निमित्तकारण, शरीर-उपादान कारण स्वभावभेदप्रयोजक कार्यभेद को शसिद्धि १६७
नव्यनास्तिक पूर्वपक्ष १८२ संस्थान आदि के भेद से भी मिन्नावमाक्ता विजातीयमनः संयोगाभाव चैतन्याभावप्रयोजक का असम्भव १६८
नहीं हैं १८२ भारमा के अभाव में शरीरादि का भेद सुषुतिभिन्नदशा में विजातीयमनःसंयोगहेतुता अघटित है १६९
की अनुपपत्ति १८३ देह और घटादि तुल्य होने से घटा दिवत् अदृष्ट को शरीराश्रित मानने में गौरव शरीर भी भात्मा नहीं है १७०
प्राण ही आत्मा ई-पूर्वपक्ष १८४ पट और पाषाण की विलक्षणता का निमित्त १७१ प्राण आत्मरूपत्ववादी का खण्डन १८५ समवाय से ज्ञानोत्पत्ति का कारण शरीर है- कायाकारपरिणत भूत ही आत्मा है-पुनः नूतन नास्तिक १७२
___ भाशा १८६ स्मरणानुपपत्ति की शङ्का का समाधान १७३ कार्याऽव्यवहित कारण से कार्योत्पत्ति नियम शरीरात्मवादी को मात्मानम प्रत्यक्ष की
का अस्वीकार १८६ आत्ति का परिहार १७४
विलक्षण भावो में कार्य-कारणभाव नहीं होने शरीरात्मवादी को प्रत्यासति में लाय १७५
की शंका का परिहार १८६ नन्यनास्तिक के मत का परिवार १७५ वैजात्य न होने से चैतन्य का कारण चैतन्य ज्यभिचारशङ्का और परिवार १५६
ही होगा १८७ लावण्यादि के अनुालम्भ और उक्तनियमासिद्धि पुत्रचैतन्य के प्रति मातृचैतन्य निमित्तकारण को आशंका १७७
भी नह] १८८ पाक से परमाणु:र्यन्त श मानने में बाधा १७५ निष्कर्ष-चैतन्य का उपादान कारण आत्मा छावण्यादि में सात्मकदार प्रयोज्यता की सिद्धि१७८
भूत से भिन्न है १९.