________________
विषय
पृष्ठाङ्क विषय पूर्वविज्ञान स्कन्ध से उत्तरविज्ञानस्कन्ध को प्रायोगिक और वैनसिक-विनाश के दो भेद १५२
स्मरण नहीं हो सकता १२९ अवयवी की सिद्धि से परमाणु में स्थूलत्व को दिव्यपुरुष के पात्रावतार से आत्मसिद्धि
मानने में शंका-पूर्वपक्ष १५३ अदृष्ट का आश्रय भोग्य विषयादि नहीं है १३२ आवृत्तत्व और अनावृत्तत्व के विरोध की लोकसिद्ध का स्वीकार चार्वाक के लिये ।
__शङ्का और समाधान १५३ अनुचित है १३३ सकम्पत्व और निष्कम्पत्व में विरोध की शङ्का १५४ धर्मी और स्वप्रकाशत्व दो अंश में प्रामाणिक कम्प और कम्पाभाव के विरोध की शङ्का विशिष्टज्ञान से प्रवृत्ति उपपत्ति की शंका १३४
और समाधान १५५ मानसप्रत्यक्ष में अनुमति का अन्तर्भाव
कर्म के सरेणुमात्रगतस्त्र-शरीर सकर्मता की। ___ अशक्य है १३६
आपत्ति और परिहार १५५ चेतना भूतों का कार्य भी नहीं हो सकती १३८ केवल शरीर में कम्प मानने से लाघव शङ्का १५६ अविद्यमान चेतना भी उम्पन्न हो सकती है- केवल शरीर में कम्प मानने पर अवयव में पूर्वपक्ष १४०
निष्क्रियत्व की आपत्ति १५६ असत् की उत्पत्ति में अतिप्रसंग-उत्तरपक्ष १४१ स्थूलत्व को भिन्न मानने पर निष्कारणत्व की कथञ्चित् सदसत्कार्यबाद को सिद्धि १४२
पत्ति-उत्तरपक्ष १५७ भिन्न भिन्न दो दृष्टि से पूर्वोत्तर काल में स्थूलत्व में निष्कारणता आपत्ति के परिहार कार्य की सत्ता १४५
का प्रयास १५८ उत्पत्ति के पूर्व स्थूलल्ब को विद्यमानता १४७ समवाय अमान्य होने से यह प्रयास परमाणुओं से स्थूलद्रव्योत्पत्ति की प्रक्रिया १४७
अनुचित है १५८ तन्तुपरिणामप्राप्त अणुओं का पटात्मक
पृथक् अवयवी की सत्ता अप्रामाणिक है १५९ परिणाम कैसे ? १४८ अवयवी की सिद्धि में सकम्पत्व और निष्कम्पत्य पूर्वद्रव्य के नाश अनन्तर ही उत्तरद्रव्य की
का विरोध बाधक है १६० उत्पत्ति हो सकती-पूर्वपक्ष १४९ अतिरिक्त अवयव के गुरुत्व से अवनमनाधिक्य परमाणुगत अतिशय से ही द्रव्योत्पत्ति का
को आपत्ति १५१ सम्भव है-उत्तरपक्ष १५० स्थूलत्व के समान चैतन्य भृतसंघातजन्य एक काल में अनेक पट को आपत्ति १५१
नहीं कह सकते १६१ एकानेक स्वभाव अविरुद्ध होने से 'इष्टापत्ति १५१ घटादि में पुरुषवैलझण्याभाव प्रत्यक्षबाधित १६२ पर काल में तन्तुओं की प्रतीति न होने की शरीर और घट में चैतन्य और जडता भूत आपत्ति और परिहार १५१
वैलक्षण्य प्रयुक्त नहीं है १६३