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१०० हरेक हिं०वि०
मूलभूत सामसद्भावो न स तन्मात्रकः ।
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मत एवान्यभावादसमास्मेति व्यवस्थितम् ॥६७॥
यदि मृतदेहे लावण्यसद्भावो न वदा स लावण्य सद्भावः तमामहेतुको न= वैमात्र प्रयोज्यो न, तन्मात्रहेतुकत्वे तद्रपादीनामित्र तत्वश्वेऽनाशप्रसङ्गात् । तन्मात्र[कावण्यादि के अनुपलम्भ और उक्त नियमासियि की आशंका
यह शङ्का हो कि "मृतदेष में केवल रूप ही उपलब्ध होता है, लावण्य आदि का होता क्योंकि वे बलवान धातुओं के सम्बन्ध से उत्पन्न होते हैं, मृतदे में मानधातुर्थी का अस्तित्म न होने से उसमें वण्य मादि का होगा समय है, नवरदेव लावण्य आदि को प्रत्यक्षसि बताना ठीक नहीं है। इसलिये लावण्य आदि धर्मों द्वारा प्रदर्शित व्यभिचार ठीक है । पाकजरूप आदि के साथ व्यभिचार होने से भी उक्त निगम अलि है, जैसे कसे घट को पाक के लिये जब दिया जाता है तब उऔर के पूर्व पाकोत्तर होने वाले रूप आदि धर्मो का भाव होने से 'ओ जिसका धर्म पा कार्य होता है। उसके रहसे उसका अभाव नहीं होता' यह नियम असिक है।jors से परमाणुपर्यन्त नाश मानने में बाधायें |
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यत्रि कहें कि शक के समय तो मठ आदि का परमाणुपर्यन्त नाश हो जाता अन्यथा घट यदि ज्यों का त्यों बना रहे तो उनके भीतरी परमाणु आदि अपवयी रह जायेंगे, अतः पाक से पूर्व घट का नाश और नये घट को उत्पत्ति होने से घर के हम के रूप आदि का प्रभाष सिद्ध न होने से उना नियम में कोई क्षति नहीं है"तो यह कहना ठीक नहीं है. क्यों कि पाक के लिये घट जहाँ रखा जाता है, सिवनी सपा में रखा जाता है. और जिस परिमाण का रखा जाता है पाक के बाद भी द बसी स्थान में, उतभी ही संख्या में व उसी परिमाण के साथ होता है । एर्व पाक के पूर्व यदि घट पर पर आदि कोई अन्य पात्र रखा रहता है तो पाक के बाद बद पाच घट पर पहले ही के समान हो सुरक्षित उपलब्ध होता है यह सब बातें पढ़ का परमाणु नाश मानने पर नहीं बन सकती, क्योंकि उस दशा में गये घट का स्थान पत्र जा सकता है, उसकी संख्या घट बढ़ सकती है उसका परिमाण छोटा वडा हो सकता है, उसके उपर रखे पर भावि पात्र आधारभूत उस मठ का नाश होने पर गिर सकते हैं। इन बातों को देखते ही मानना होगा कि पाक के समय घट का परमाणुपर्यन्त नाश नहीं होना यह ज्यों का त्यों पता रहता है, उसके सूक्ष्म कि द्वारा सूक्ष्म अग्निकण का भीतरी भाग के साथ सम्पर्क होने से उसके भीतरी भाग को को सकता है और उसकी वेश, संख्या आदि के विषय में पूर्व स्थिति भी सुरक्षित रह सकती है। इस प्रकार घट के रहते पाक के बाद उसके पूर्व रूपादिक पूर्व पाक के पूर्व उसके पाकोन्तर रूपादि का अभाव होने से जो जिसका धर्म या कार्य क्षेत्र है। उसके से उसका प्रभाव नहीं होता यह नियम मलिक है।"-- काका का समाधान कारिया में दिया जाता है
T. MI. R3