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शास्त्रवासिमुच्चय-सबक १ पळो० ५४-१५ यतो 'भूतमात्रणे सति' भूसातिरिक्तभेदाकामा सप्ति, 'मायाद'-यूक्तितः, स्वभावो न भियते । कृतः ! इस्पाह-यस्मात्-कारणात, तुल्याना भूतत्वेन समानानां परशरीराबारम्मकाणां, विशेषण विना विशिष्टता न भवति। भूतस्य भूनान्तरभेदो हि न पास्तषः, फिन्तु विभिन्नधर्मप्रकारकवुद्धिविषयत्वलक्षणो भारु पय, विशेषणारप्रिनिविशेष्यमेवात्मको पा । न च विभिन्न विना तटिसमतसम्भत्र प्रति माम!! अत पल भूतान्तरनिष्ठकार्यमनकातिषायाम्यातिशपशालिवकलणवैधीरूपो भेदोऽपि निरस्ता, तारखातिशयस्य भूतातिरिकतत्वे तवान्तरप्रसङ्गाव, तदनतिरिक्तत्वे च स्वभाकमेनादिति दिग ॥५॥ स्वरूपत पर भेवो भविष्यति, इत्यत्राह
मुला--स्वणपमात्रभेदे च मेदो भूतेतरात्मकः ।
__अन्य मेनकभावे तु स एवामा प्रसश्यते ॥५५|| क्योकि जो पदार्थ तुरूप-समानधर्मा होते हैं उनमें किसी अतिरिक्त विशेषण-मर्यात मेक धर्म के बिना विशिवता-भिन्नता नहीं होती। कहने का आशय यह है कि पक भूत में-मन्यभूत का जो मेव होता है, यह वास्तविक न होकर गौण होता है, उसे विभिन्मधर्मप्रकारकबुधिषिपयस्वरूप या विशेषणायनिछन्नविशेष्यमोदरूप माना जा सकता है। पहले का अर्थ विभिन्न धर्मों द्वारा जात होना, असे खेत गो और रक गो रमेशपरकत्व कप विभिन्न धर्मों से ज्ञात होने के कारण एक दूसरे से भिन्न समझे बात। दुसरे काम है विशेषणान विशेष्य का विशेषणविशिष्ठ विशेष्य से भिन्न होगा. जैसे वाहीनपुरुष का वष्टविशिषध से भिन्न होना । ये दोनों को प्रकार के मैव विभिन्न धर्म पवं विशेषण से घटित है। मतः भिन्न धर्म या विशेषण के माने विमानमेवों का मानना सम्भव नही है।
सापक के मत में षिषी मादि चार भूतो से भिन्न कोई मतिरिक्त तत्व नहीं होता, पता भेदक तरख के बिना उनमें मेह का समर्थन शक्य नहीं है।
यदि यह करें कि-"सभी भूत भूतत्वरूप ले समान होने पर भी भिन्न भिन्न कार्य उत्पन्न करते है, अतः इनमें भिन्न भिन्न कार्यों का मन बसिशय मानना यावश्यक है, अतः जम भतिशयों द्वारा भूतो में भेद का समर्थन किया जा सकता है"-नो पह जीक नहीं है, क्योंकि अतिशय को भूत से भिन्न मागने पर तखातर का मोगा, मौर मभिन्न मानने परः उनसे स्वभाषमेव उपपावम शल्यन होगा। अतः यह पए है कि शरीर के भारम्भक भूतों में तथा घट आदि के मारम्भक भूतों में स्वभावभोर की कपमा में की गुक्ति नहीं है |
स्वस्वरूपमात्र भूतों का भेदक नहीं हो सकता परीर, अब मावि मतसंघातों में स्वरूपमात्र से मेव नहीं माना जा सकता, क्यों दिपमा मे मे का म अधिशियस्वरूप से मेक, और सभी भूतों का सबि.