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सूत्र—
उसहब काबे पढमदुसत्वररायो, सत्तसूवि दिपौ उदिसू । पौडो संति जिनिदे वीरे सच्चइ सुदों जावो ॥५१॥ परणसया पण्णुनसयं पञ्चसुदसहिणं नम रचउदोसं । caste धनुष्सेहे सच्चयेतनयस्स सत्त करा ॥५२॥
इनका उत्सेष ५००, ४५०, १००, ६०, ८०, ७०, ६०, ५०, २८,२४, धनुष है। अंतिम रूद्र की ऊंचाई सात हाथ है |
गाया-
तेस्रिविनीत रोयगि लम्वो पुग्वारिखवालसक्खाऊ मलसिवि सिट्ठेसबस हीरणवतिविस्सरण व सठि ॥५३॥
इन रुद्रों की आयु को क्रम से कहते हैं ।
८३ लाख पूर्व आयु, ७१ लाख पूर्व, २ लाख पूर्व, १ लाख पूर्व, ८४ लाख वर्ष, ६० लाख वर्ष, ५० लाख ४० लाख वर्ष २० लाख वर्ष, १० लाख वर्ष ६६
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वायु है ।
गाथा
यज्जारणपादपढने दिट्टपणट्ठसंजमा भव्वो । कदिचि भवेसिज्झति हुगई दुक्खमसंममहिमादो || ५४॥ पढमा माघवी मरणे पण मघवी श्रमो दुरिट्ठमहेन्दो । श्रजनं पवष्णो मे सुच्चई जो चोदो ॥ ५५॥
अर्थ--- २ - प्रमद, रसद, ३ - प्राकाम ४ - कामद, ५-भव दूर, ६- मनोभव ७-मार, ८--काम, ε--रुद्र, १०- गज यह भावी काल के ११ रुद्र हैं।
गाया-
काले जिनवराणं चउवौसारणं हवंति चडवीसा । ते बाहुवलिप्पमुद्दा कद्दमपाणि रुपमायारी ॥ ५६ ॥ तिस्थयरातप्पियरा केशिवल चविरुद्दारद्दा | कुलकर अंगज पुरुषा भग्वा सिज्झत्ति नियमेरा || ५७ ॥
अर्थ---- इस प्रकार ऊपर कहे हुए पुरुषों में सभी तीर्थंकर मोक्ष जाते हैं । तीर्थंकरों के माता पिता कुलकर, कामदेव, बलदेव, ये सभी ऊगामी होते हैं । वासुदेव प्रति वासुदेव नारद रुद्र ये अधोगामी होते हैं ।