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. ( ६ ) अर्थ-५४ लाख, ७२ लाख, ६० लाख, ३० लाख, १० लाख, ६५ हजार, ३२ हजार १२ हजार और १०००वर्ष अर्थ चक्रवर्ती की आयु क्रमशः होती है । अब इनकी उत्सेध [चाई] को कहते हैं। गाथा
सीटीसत्तरिसठी पणापपताल ऊातीसारिंग ।
वावोससोलवसघणु केसित्तिवयामि उच्छेहो ॥४७॥ अर्थ-८०, ७०, ६०, ५०, ४५, २६, २२, १६, १० धनुष नारायण के शरीरों की क्रमशः ऊंचाई है। गाथा
एवे नव पडिसतूररावारण हत्थेहि वासुदेवारणं रिणय चक्केहि रोस सभाहदा नतिरिणरय खिदि ।।४।। अवंगा वासुदेवायुनिनिदाना भवान्तरे। प्रयोगाश्च विदुर्वासुकेशवाः प्रतिशत्रवः ॥ पढमे सत्तमिवणे, परगछट्टिमपच्च विगवो दत्तो।
नारायणो चउत्थि कसिनो तवियग्गव अपापा । अर्थ----ये प्रतिनारायण युद्ध में नारायण के द्वारा चक्र से मारे जाते हैं और नरक को जाते हैं ॥४८॥
अर्थ-बलदेवों में पाठ मोक्षगामी हैं । अन्त के बलदेव ब्रह्मकल्प से पाकर कृष्ण जन्न भावो तीर्थकर होंगे उनके वहां समवशरण में प्रमुख गणधर होंगे । तदनन्तर मोक्ष जावेंगे । नारायण प्रतिनारायण नरक जाते हैं ॥४६॥
अर्थ--पहला नारायण सातवें नरक में, ५ नारायण छटे नरक में, एक पांचवें में, एक चौथे नरक में और प्रतिम नारायण तीसरे नरक में गया है। प्रतिनारायण भी इसी प्रकार नरक गये हैं ॥५०11 . . गाथा- कलहप्पिया कदापि धम्मररावासुदेवसमकाला
भम्भारिणरयगदे हिसादेसेन गच्छति ॥५०॥ अर्थ-नारद कलहप्रिय होते हैं, ब्रह्मचारी होते हैं, कुछ उनको धर्म से भी राग होता है । नारायणों के समय में होते हैं । और मर कर सरक जाते हैं। सूत्र :--
एकादश रुद्राः ।। २२ ॥ भीमथली, जिस शत्रु, रुद्र, विश्वानल, सुप्रतिष्ठ, अचल, पुंडरीक, अजितंधर, अजितनाभि, पीठ, सात्यकि, यह ११ रुद्र हैं।