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________________ · (**) रथ, विजय, अचल, सुधर्म, सुत्रम, सुदर्शन, नंदिमित्र, राम, पद्म यह वर्तमान काल के बलदेव हैं । गाया सगसिदि दुसुद सूरां, संगति सस्सतर सभा लहि । सह पट्टितिस संतरसहस चारसय माहू थले । श्रर्थ - विजय की ८७ लाख, अचल की ७७ लाख, सुषमं को ६७ लाख, सुप्रभ की ३७ लाख, सुदर्शन की १७ लाख, नंदिमित्र को ३७ हजार, राम की १२ हजार पद्म की १२ हजार वर्ष आयु है । सूत्र - वासुदेव प्रतिवासुदेवनारदाश्चेति ॥२१॥ काकुस्थ, बरभद्र, समुद्र, संसृष्ट, वरवीर, शंत्रुजय, दमितारि, प्रिय दर्शन और विमल वाहन यह अतीत काल के नव वासुदेव है । निसुभ, विद्यतप्रभ धरणीशिख, मनोवेग, चित्रवेग, दृढरथ, वज्रजंघ विद्यदंग, प्रहलाद ऐसे प्रतीति काल के प्रति वासुदेव हैं । त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयंभू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुरुषवर, पुडरीक, दत्तनारायण, कृष्ण यह वर्तमान काल के वासुदेव हैं । अश्वनीव, तारक, मेरक, निसुंरंभ, मधुकैटभ, बली, प्रहरण, राबण, जरासंध यह वर्तमान काल के नव प्रतिवासुदेव हैं । प्रति नारायण नंदि नंदी मित्र, नन्दन, नंदिभूति, बल, महावल, अतिबल, त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ यह भावी काल के नव वासदेव है । नारायण भविष्यत् १ - श्री कंठ, २ - हरिकंठ, ३-नीलकंठ, ४- अश्व कंठ, ५- सुकंठ, ६ - शिखिकंठ, ७-प्रश्वग्रीव, ८--हयग्रीव, ६- मधुर ग्रीव, ये भावी काल के नव प्रतिदासुदेव हैं । भविष्यत् (१) भीम (२) महा भीम (३) २ (४) महारुद्र (५) काल ( ६ ) महाकाल (७) दुर्मुख ( 5 ) नरकमुख (६) अधोमुख ये नव नारद वर्तमान काल के हैं। अब उनकी प्रायु बताते हैं । गाथा शेयादिपनस्वहरि पन छट्टरदुगविरहमति दुगनचके बट्टाट्टमसू विहग बिरहिनेमि काल जोक्यन्नोह ॥ समय चुलसिदिवितरि सट्ठितिस दशलक्खपण सठि । बतीसौ खोरेकं सहस माउस्स मध्य चक्कीमस् ॥
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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