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________________ [१४] चैत्र वदो प्रमावस्या के दिन रेवती नक्षत्र में अनन्त नाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ । [१५] पौष सुदी पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र में धर्मनाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ। [१६] पौष शुक्ला दशमी के दिन भरणी नक्षत्र में शान्तिनाभ भगवान को केवल ज्ञान हुआ। . [१६] चत्र मास शुक्ल तृतीया को कृतिका नक्षत्र में कुघुनाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ। [१८] कार्तिक सुदी द्वादशी को रेवती नक्षत्र में अरनाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ। [१६] पौष मास कृष्णा द्वितीया को पुनर्वसु नक्षत्र में मल्लिनाथ भगवान को केवल शान हुआ। - [२०] वैशाख कृष्ण नवमी को श्रवण नक्षत्र में मुनि सुव्रत भगवान को केवल ज्ञान हुआ। - [२१] मगसिर सुदी एकादशी अश्विनी नक्षत्र में नमिनाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ। - [२२] आसोज सुदी प्रतिपदा चित्रा नक्षत्र में नेमिनाथ को केवल ज्ञान ................ .. हमा, [२३] चैत्र कृष्णा चतुर्थी विमाा नक्षत्र में पार्श्वनाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ। [२४] वैशाख सुदी दशमी को हस्त नक्षत्र में भगवान महावीर को केवल ज्ञान हुआ। प्रादिनाथ, श्रेयांसनाय, मुनिसुव्रत, नेमिनाथ, और पाश्र्वनाथ भगवान को पूर्वान्हकाल [दोपहर से पहले] में केवलज्ञान हुया। शेष १६ तीर्थंकरों को अपरान्हकाल (दोपहर पीछे) में चतुर्थ कल्याणक हुमा ।। नव लब्धि केवल ज्ञान के उदय होते ही अर्हन्त भगवान को ९ लब्धियाँ प्राप्त होती हैं-१ ज्ञानाबरण कर्म के क्षय होने से, क्षायिकज्ञान, दर्शनावरण के क्षय होने से क्षायिक दर्शन, मोहनीय के क्षय होने से क्षायिक सम्यक्त्व, चारित्रमोहनीय के क्षय होने से सायिक चारित्र, दानान्तराय कर्म के क्षय होने से अगणित जीवों को निर्मल तत्वोपदेश रूप शानदान तथा अभयदान करने रूप क्षायिकदान, लाभान्तराय के क्षय से बिना कवलाहार
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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