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३ वर्ष, श्रेयांसनाथ दो वर्ष, वासुपूज्य १ वर्ष, विमलनाथ ३ वर्ष, मनन्तनाथ २ वर्ष, धर्मनाथ १ वर्ष, शान्तिनाथ १३ वर्ष', कुन्थुनाथ १६ वर्ष', परनाथ १६ वर्ष, मल्लिनाथ ६ दिन, मुनि सुव्रतनाथ ११ मास, नमिनाथ ६ मास, नेमिनाथ ५६ दिन, पार्श्वनाथ ४ मास और महावीर १२ वर्ष तक छट्मस्थ अवस्था में रहे । इतने समय तक उनको केवल ज्ञान उत्पन्न नहीं हुआ।
तीर्थंकरों को केवल ज्ञान होने को तिथि [१] फागुन सुदी एकादशी उत्तराषाढा नक्षत्र में प्रादिनाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ।
[२] पीप सुदी एकादशी रोहिणी नक्षत्र में अजितनाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ।
[३] कार्तिक वदी पंचमी मृगिसरा नक्षत्र में संभवनाथ भगवान को केरल ज्ञान हुआ।
[ ध सुदी : ४ - नार में भिनन्दन भगवान को केवल शान हुआ।
[५] वंशाख सुदी १० मघा नक्षत्र में सुमतिनाथ को केवल शान हुआ।
[६] वैशाख सुदी १० चित्रा नक्षत्र में पदमप्रभु भगवान को केवल ज्ञान हुआ।
[७] फागुन सुदी सप्तमी विशाखा नक्षत्र में सुपार्श्वनाथ को ज्ञान हुआ।
[८] फागुन कृष्णा सप्तमी अनुराधा नक्षत्र में चन्द्र प्रभु भगवान को केवल ज्ञान हुआ।
[६] कार्तिक सुदी तृतीया मूल नक्षत्र में सुविभनाथ [पुष्पदन्त] भगवान को केवल ज्ञाम हुआ।
[१०] पौष सुदी १४ पूर्वा पाला नक्षत्र में शीतलनाथ भगवान को केवल ज्ञान हुआ।
[११] माघ वदी अमावस्या श्रवण नक्षत्र में श्रेयांसनाथ भगवाम को केवल ज्ञान की उत्पत्ति हुई ।
[१२] माघ सुदी द्वितीया को विशाखा नक्षत्र में वासु पूज्य भगवान को केवल ज्ञान हुआ।
[१३] माघ सुदी छट उत्तरा भाद्रपद में विमलनाथ भगवान को केवल ६.ान प्राप्त हुआ।