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(५४) १३ माघ सुदी चौथ अपराह्न काल उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में विमलनाथ की दीक्षा हुई।
१४ ज्येष्ठ कृष्णा द्वादशी अपराह्न काल में रेवती नक्षत्र में अनन्त नाथ की दीक्षा हुई।
१५ भाद्र पद सुदी तेरह पुष्य नक्षत्र में अपराल काल में धर्म नाथ की दीक्षा हुई। . १६ ज्येष्ठ कृष्णा चौदस के दिन अपराह्न काल में भरणी नक्षत्र में शान्सिनाथ की दीक्षा हुई।
१७ बैशाख सुश रकम इशिका न अपराह्न काल में कुन्थु नाथ भगवान की दीक्षा हुई। . १८ मगसिर सुदी दशमी अपराह्न काल में रेवती नक्षत्र में प्ररनाथ भगवान को दीक्षा हुई।
१६ मगसिर सुदी एकादशी अपरान्ह काल में अश्विनी नक्षत्र में मल्लिनाथ की दीक्षा हुई।
२० बैशाख सुदी दशमी अपरान्ह काल श्रवण नक्षत्र में मुनिसुव्रत भगवान की दीक्षा हुई।
२१.प्राषाढ़ सुदी वशमी अपरान्ह काल अश्विनी नक्षत्र में नमिनाथ तीर्थकर की दीक्षा हुई।।
२२ चैत्र सुदी षष्टी अपरान्ह काल श्रवण नक्षत्र में नेमिनाथ तीर्थकर की दीक्षा हुई।
२३ पौष कृष्ण एकादशी पूर्वान्ह काल विशाखा नक्षत्र में पार्श्व नाथ तीर्थकर की दीक्षा हुई।
२४ मगसिर सुदी दशमी अपरान्ह काल उत्तरा नक्षत्र में श्री वर्द्धमान की दीक्षा हुई।
___ इस प्रकार चौबोस तीर्थंकरों के दीक्षा का समय वर्णन किया । अब भागे जिस तीर्थकर के साथ में जितने राजकुमारों ने दीक्षा ली यह भी बतलाते हैं।
वीक्षा समय के साथी वासु पूज्य भगवान के साथ ६७६ राजकुमारों ने दीक्षा ली थी। ... मल्लिनाथ और पार्श्वनाथ तीर्थंकरों के साथ ३-३ सौ राजकुमारों ने दीक्षा ली थी।