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________________ (५१) संभव जिनेन्द्र की उत्पत्ति के पश्चात् दस लाख पूर्व सहित दस लाख करोड़ सागरोपमों के बीत जाने पर अभिनन्दन भगवान ने अवतार लिया। अभिनन्दन स्वामी की उत्पत्ति के पश्चान् दस लाख पूर्व सहित नौ लाख करोड़ सागरोपम के बीत जाने पर सुमति जिनेन्द्र की उत्पत्ति हुई। सुमतिनाथ तीर्थकर के जन्म के पश्चात् दस लाख पूर्व सहित नब्बे हजार करोड़ सागरोपमों के बीत जाने पर पद्मप्रभु का जन्म हमा। पद्मप्रभु के जन्म के पश्चात् दस लाख पूर्व सहित नौ हजार करोड़ सागरोपमों का समय अतिक्रमण होने पर भगवान सुपार्श्वनाथ का जन्म हुआ। सुपार्श्वनाथ की उत्पत्ति के पश्चात् दस लाख पूर्व सहित सौ सागरोपमों के बीत जाने पर चन्द्रप्रभु जिनेन्द्र की उत्पत्ति हुई। चन्द्रप्रभु की उत्पत्ति से आठ लाख पूर्व सहित नब्बे करोड़ सागरोपमों का विच्छेद होने पर भगवान पुष्पदन्त की उत्पत्ति हुई। __ पुष्पदन्त की उत्पत्ति के अनन्तर एक लाख पूर्व सहित नौ करोड़ सागरोपमों के बीतने पर शीतलनाथ तीर्थकर ने जन्म लिया। शीतलनाथ की उत्पत्ति के पश्चात् सौ सागरोपम और एक करोड़ पचास लाख छब्बीस हजार वर्ष कम एक लाख पूर्व सहित करोड़ सागरोपमों के प्रतिक्रान्त होने पर श्रेयांस जिनेन्द्र उत्पन्न हुए। ____भगवान श्रेयांस की उत्पत्ति के पश्चात् बारह लाख वर्ष सहित पौवन सागरोपमों के व्यतीत हो जाने पर वासुपूज्य तीर्थंकर ने अवतार लिया। वासुपूज्य भगवान की उत्पत्ति के अनन्तर बारह लाख वर्ष अधिक तीस सागरोपमों के व्ययीत हो जाने पर भगवान अनन्तनाथ उत्पन्न हुए। अनन्त स्वामी के जन्म के पश्चात् बीस लाख वर्ष अधिक चार सागरोपमों के बीतने पर धर्मनाथ प्रभु ने जन्म लिया। धर्मनाथ' की उत्पत्ति के पश्चात् पौन पल्प कम और नौ लाख वर्ष सहित तीन सागरोपमों के बीत जाने पर शान्तिनाथ भगवान ने जन्म लिया । ___ भगवान शान्तिनाथ के जन्म के पश्चात् पाँच हजार वर्ष अधिक प्राधे पल्य बाद कुन्थुनाथ जिनेन्द्र उत्पन्न हुए । कुन्थुनाथ की उत्पत्ति के पश्चात् ग्यारह हजार कम एक हजार करोड़ वर्ष से रहित पाव पल्य के बीतने पर अर जिनेन्द्र उत्पन्न हुए । अर जिनेन्द्र की उत्पत्ति के पश्चात् उनतीस हजार अधिक एक हजार करोड़ वर्षों के बीतने पर मल्लिनाथ भगवान का जन्म हुआ।
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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