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________________ ( ५० ) मल्लिनाथ जिनेन्द्र मिथिलापुरी में माता प्रभावती और पिता कुम्भ से मगसिर शुक्ला एकादशी को अश्विनी नक्षत्र में उत्पन्न हुए । भगवान मुनिसुव्रत राजगृह में पदम और वायुमिड राजा से श्रासोज शुक्ला द्वादशी के दिन श्रवण नक्षत्र में उत्पन्न हुए । नमिनाथ स्वामी मिथिलापुरी में पिता विजयनरेन्द्र और माता वप्रिला से आषाढ़ शुक्ला दशमी के दिन अश्विनी नक्षत्र में अवतीर्ण हुए। नेमि जिनेन्द्र शौरीपुर में माता शिवदेवी और पिता समुद्र विजय से वैशाख शुक्ला त्रयोदशी को चित्रा नक्षत्र में अवतीर्ण हुए । भगवान पार्श्वनाथ वाराणसी नगरी में पिता अश्वसेन और माता मिला [ बामा ] से पौष कृष्ण एकादशी के दिन विशाखा नक्षत्र में उत्पन्न हुए । भगवान महावीर कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता प्रियकारिणी से शुक्खा त्रयोदशी के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में उत्पन्न हुए । तीर्थंकरों का वंश थन धर्मनाथ, अरनाथ और कु थुनाथ ये तीन तीर्थंकर कुरुवंश में उत्पन्न हुये। महावीर और पार्श्वनाथ क्रम से नाथ और उग्र वंश में भुनिसुव्रत और नेमिनाथ यादव वंश [ हरिवंश ] में तथा अवशिष्ट लीर्थकर इक्ष्वाकु कुल में उत्पन्न हुए । भव्य जीवों के पुण्योदय से भरतक्षेत्र में अवतीर्ण हुये इन चौबीस तीर्थंकरों को जो भव्य जीव मन, वचन तथा कार्य से नमस्कार करते हैं, वे भोक्ष सुख को पाते हैं । केवल ज्ञानरूप वनस्पति के कंद और तीर्थ के प्रवर्तक चौबीस जिनेन्द्रों का जो भक्ति भाव से प्रवृत्त होकर अभिनन्दन करता है, बांधा जाता है । उसको इन्द्र का पट्ट तीर्थंकरों के जन्म काल का वर्णन सुषमदुःषमा नामक काल में चौरासी लाख पूर्व तीन वर्ष माठ मास श्रीर एक पक्ष शेष रहने पर भगवान ऋषभदेव का जन्म हुआ भगवान ऋषभदेव की उत्पत्ति के पश्चात् पचास करोड़ सागरोपम और बारह लाख वर्ष पूर्व के बीत जाने पर अजितनाथ तीर्थंकर का अवतार हुआ । अजितनाथ की उत्पत्ति के पश्चात् बारह लाख वर्ष पूर्व सहित तीस करोड़ सागरोपमों के बीत जाने पर भगवान संभवनाथ की उत्पति हुई ।
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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