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किस किस तीर्थकर का गर्भावतरण किस किस स्थान से हुआ ... उसे बतलाते हैं
अर्थ-ऋषभनाथ, धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ सर्वार्थसिद्धि से चयकर माता के गर्भ में पाये । अभिनन्दननाथ, अजितनाथ विजय दिमान से, चन्द्रप्रभ वैजयन्त से, अरनाथ, मल्लिनाथ, नमिनाथ, और नेमिनाथ अपराजित विमान से सुमतिनाथ, जयन्त विमान से, पुष्पदन्त और शीतलनाथ क्रमश धारणयुगल से, अनन्तनाथ, श्रेयांसनाथ, वर्तमान पुष्मोत्तर विमान से, विमलनाथ सतार स्वर्ग से, मुनिसुव्रतनाथ प्रान्त स्वर्ग से, पार्श्वनाथ प्रागत स्वर्ग से, संभवनाथ अधो न वेयक से, सुपार्श्वनाथ मध्यम ग्रे बेयक से, पद्मप्रभ ऊर्ध्व ग्रेधेयक से तथा वासुपूज्य भगवान महा शुक्र विमान से अवतीर्ण हुए।
गर्भावतरण की तिथि ऋषभनाथ तीर्थधर अयोध्या नगरी में मरुदेवी माता के गर्भ में प्राषाढ़ कृष्णा द्वितीया उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आये ।
२ ज्येष्ठ मास अमावस्या को रोहिणी नक्षत्र में अजितनाथ तीर्थङ्कर गर्भ में आये।
३ फाल्गुन शुक्ला अष्टमी को मगसिर नक्षत्र में सम्भवनाथ तीर्थङ्कर का गर्भावतरण हुआ।
४ बैसास्त्र सुदी षष्ठी विशाखा नक्षत्र में अभिनन्दन तीर्थकर का गर्भ कल्याण हुआ। ४५ श्रावण सुदी द्वितीया मघा नक्षत्र में सुमतिनाथ भगवान् गर्भ में पाये ।
६ माघ सुदी एकादशी चित्रा नक्षत्र में पद्मनाथ तीर्थङ्कर का गर्भ कल्याएक हुआ। .. ७ भाद्र पद शुक्ल अष्टमी विशाखा नक्षत्र में सुपार्श्वनाथ तीर्थङ्कर का गर्भ कल्याणक हुआ।
८ चैत्र सुदी पंचमी ज्येष्ठा नक्षत्र में चन्द्रप्रभु भगवान का गर्भ कल्याणक हुना।
६ फाल्गुन सुदी नवमी मूल नक्षत्र में पुष्पदन्त भगवान गर्भ में आये ।
१० चैत्र कृष्णा अष्टमी पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में शीतलनाथ तीर्थङ्कर का गर्भ कल्याणक हुआ।
११ ज्येष्ठ कृष्णा षष्ठी श्रवण नक्षत्र में श्रेयांसनाथ तीर्थङ्कर का गर्भ कल्याएक हुआ।