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________________ (१५) ६५० धनुष ऊंचा था और प्रायु पल्यके सौ करोड़वें भाग प्रमाण थी। उनकी मी. का नाम कान्तमाला था। यशस्वी कुलकर ने यह एक विशेष कार्य किया कि उस भोगभूमिज स्त्री युवषों के जीवन काल में ही उनके सन्तान होने लगी थी, उन लड़के लड़कियों के माम रखने की पद्धति चालू की ॥६॥ । नौचे कुलकर के स्वर्गवास हो जाने पर पल्टके E. करोडो भाग समय गीत जाने पर दशवें अभिचन्द्र मनु हुए। उनके शरीर की ऊंचाई छःसौ पच्चीस २५ धनुष थी और आयु एक करोड़ से भाजित पल्यके बराबर थी। उनकी स्त्री का नाम श्रीमती था। ET इन्होंने बच्चों के लालन-पालन की, उनको प्रसन्न रखने की, उनका रोना बन्द कराने की विधि स्त्री पुरुषों को सिखाई । रात्रि में बच्चों को चन्द्रमा अदिसला कर क्रीड़ा करने का उपदेश दिया तथा बच्चों को बोलने का अभ्यास भी अनुपम कराने की प्रेरणा की ।१० दशवें कुलंकरके स्वर्ग जाने के बाद आठ हजार करोड़वें भाग [८०००, ०००००० ] प्रमाण पल्य बीत जाने पर चन्द्राम नामक ग्यारहवें कुलंकर उत्पन्न हुए। उनका शरीर ६०० सौ धनुष ऊंचा था और आयु पल्यके [१००००, ००००००० ] दस हजार करोड़ में भाग समान थी। उनकी पत्नी सुन्दरी प्रभावती थी। इस मनुके समय बच्चे कुछ अधिक काल जीने लगे सो उनके जीवन के वर्षों को सीमा बतलाई और निराकुल किया ॥ ११ ॥ - चन्द्राभ कुलकर के स्वर्ग जानेके पश्चात् अस्सी हजार करोड़ से भाजित [२०, ४००, ०००००००] पल्य का समय बीत जाने पर मरुदेव नामक बारहवें कुलंकर उत्पन्न हुए 1 उनकी आयु एक लाख करोड़ से भाजित पल्यके बराबर और शरीर (५७५) धनुष ऊंचा था। उनकी पत्नी का नाम सत्या था । इनके समय में पानी खूब बरसने लगा जिससे ४० नदियां पैदा होगई, उनको नाव मादि के द्वारा जलतर उपाय बतलायी ॥ १२ ।। - मरदेवका निधन हो जाने पर [ १०, ०००००, ००००००० [दसलाख करोड़ से भाजित पल्य प्रमाण समय बीत जानेपर प्रशेनजित नामक तेरहवें कुलकर पेंदाहुए । उनकी प्रायु दशलाख करोड़ [ १०, ०००००, ००००० ..] से भाजित पत्यके बराबर थी उनका शरीर ५५० धनुष ऊँचा था, । उनकी स्त्री का नाम अमृतमती था । इन्होंने प्रसूत बच्चे के उपर की जरायु को
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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