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________________ (१४) सीमङ्कर कुलकर के स्वर्ग चले जाने पर 'सीमधर' नामक छठे कुलकर हुये । इनका शरीर ७२५ धनुष ऊंचा और आयु पल्यके दश लाख भाग प्रमाण थी, इनकी देवी 'यशोधरा' थी। इस मनु ने उस समय के लोगों . को भिन्न-भिन्न रहने की सीमा बतलाई और निराकुल करके, आपस की कलह मिटाई ।।६।। सीमङ्कर मनु के स्वर्गारोहण के बाद पल्यके अस्सी लाख- भाग प्रमाण समय बीत जाने पर 'विमलबाहन' नामक सातवें कुलकर उत्पन्न हुए । इनकी प्रायु पत्यके एक करोड़वें हिस्से थी, और शरीर ७०० धनुष ऊंचा था। इनकी देवी का नाम 'सुमती' था । ___ इन्होंने स्त्री पुरुषों को दूर तक आने जाने की सुविधा के लिये हाथी घोड़े प्रादि वाहनों पर सवारी करने का ढंग समझाया ७ सातवें कुलकर बिमलवाहन के स्वर्गारोहण के पश्चात् पल्यके आठ करोड़वें and भाग बीत जाने पर आठवें मनु 'चक्षुष्मान्' उत्पन्न हुए । उनकी प्रायु पल्यके दस करोड़वें भाग प्रमाण थी और शरीर की कद ६७५ धनुष थी। उनकी देवी का नाम था वसुन्धरा ॥७॥ ___ इनसे पहले भोगभूमि में बच्चों [लड़की लड़के का युगल] के उत्पन्न होते ही माता पिता की मृत्यु हो जाती थी, वे अपने बच्चों का मुख भी न देख पाते थे किन्तु पाठवें कुलकर के समय माता पिताओं के जीवित रहते हुए बच्चे उत्पन्न होने लगे, यह एक नई घटना थी जिसको कि उस समय के स्त्री पुरुष जानते न थे, अतः वे आश्चर्यचकित और भयभीत हुए कि यह क्या मामला है। तब 'चक्षुष्मान् कुलकर ने स्त्री पुरुषों को समझाया कि ये तुम्हारे पुत्र पुत्री हैं, इनसे भयभीत मत होतो, इनका प्रेम से पालन करो, ये तुम्हारी कुछ हानि नहीं करेंगे । कुलकर की बात सुनकर जनता का भय तथा भ्रम दूर हुआ और उन्होंने कुलकर की स्तुति तथा पूजा की ।। ८ ।। युगळेगळ्पुटिसि तागुलिसिपितृयुगं सत्तुस्वर्ग गळोळ् पु। । टुगुमिल्लिदित्तळेळु कतिपयविनदोळ्मककुळं नौडिसावे । यदुगुमौगळ् कर्म भूमि स्थितिमोगसिदि बालकालोकदिए । ब्बेगमल्लेदित्त कालस्थितियनवर्गति व्यक्तमपंतुपेऴ्वं ॥२॥ पाठवें कुलकर की मृत्यु हो जाने के बाद पल्यके प्रस्सी करोड़वें भाग farrusoo.] समय बीत जाने पर वें कुलकर 'यशस्वी' हुए । उनका शरीर
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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