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ज्योतिषी देवों के विमान हैं, ये सदा आकाश में रहते हैं। पहले कल्प वृक्षों के तेजस्वी प्रकाश के कारण दिखाई न देते थे, अब उनकी ज्योति बहुत फीकी हो जाने से ये दिखाई देने लगे हैं । ये तारे तुमको कुछ हानि नहीं करेंगे।
सन्मति की विश्वास रमक बात सुनकर लोगों का भय दूर हुआ और उन्होंने । सन्मति का बहुत आदर सत्कार किया ॥ शा
सन्मति की मृत्यु हो जाने पर पल्यके ८०० वें [] भाग बीत जाने पर तीसरे कुलकर 'क्षेमङ्कर' उत्पन्न हुए उनकी आयु [प ] पल्य थी, शरीर ८०० धनुष ऊंचा था और उनका रंग सोने जैसा था। उनकी देवी पत्नी] का नाम 'सुनन्दा' था।
उनके समय में सिंह, बाघ आदि जानवर दुष्ट प्रकृति के हो गये, उनकी भयानक आकृति देखकर उस समय स्त्री पुरुष भयभीत हुए । तब क्षेमङ्कर कुल- . कर ने सबको समझाया कि अब काल दोष से ये पशु सौम्य शान्त स्वभाव के नहीं रहे, इस कारण ग्राप पहले की तरह इनका विश्वाग न करें, इनके साथ क्रीड़ा न करें, इनसे सावधान रहें । क्षेमङ्कर की बात सुनकर स्त्री पुरुष सचेत और निर्भय हो गये । ३ ।।
क्षेमङ्कर कुलकर के स्वर्ग चले जाने पर पल्यके ८ हजारवें [br] भाग बीत जाने पर चौथे कुलकर 'क्षेमन्धर' नामक मनु [कुलकर] हुए । उनका शरीर ७७५ धनुष ऊंचा था और उनकी आयु पल्यके दश हजारवें [ ] भाग प्रमाण थी, उनकी देवी 'विमला' नामक थी। ___इनके समय में सिंह, बाघ अादि और अधिक क्रूर तथा हिंसक बन गये, इससे जनता में बहुत भारी व्याकुलता और भय फैल गया । तब क्षेमन्धर मनु ने इन हिंसक पशुत्रों की दुष्ट प्रकृति का लोगों को परिचय कराया और डंडा प्रादि से उनको दूर भगा कर अपनी सुरक्षा का उपाय बतलाया तथा दीपकजाति के कल्पवृक्ष की हानि भी हो जाने से दीपोद्योत करने का उपाय भी बतलाया, जिससे स्त्री पुरुषों का भय दूर हुआ ।।४॥
क्षेमन्धर मनु के स्वर्गवास हो जाने पर पल्यके ८० हजार [ ] भाग व्यतीत हो जाने पर पांचवें कुलकर 'सीमङ्कर' उत्पन्न हुए । इनका
शरीर ७५० धनुष ऊंचा था और प्रायु पल्यके एक लाखवें भाग प्रमारण थी। । उनकी देवी का नाम 'मनोहरी' था । इस मनु ने उस समय के लोगों को वृक्षों
की सीमा बताई ॥ ५ ॥