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________________ ( २५६ ) सिद्धांतवेत्ता मुनियों की वन्दना -- सिद्धभक्ति, श्रुतभक्ति स्वाध्याय का प्रारम्भ स्वाध्याय की समाप्ति- किया प्राचार्य की अनुपस्थिति में पहले दिन उपवास वा प्रत्याख्यान ग्रहण हो तो दूसरे दिन आहार के समय आहार की समाप्ति पर अगले दिन के उपवास वा प्रत्याख्यान का ग्रहण करने में आचार्य की उपस्थिति में श्राहार के लिए जाने जाने के पहले प्रहार के अनन्तर प्रत्याख्यान वा उपवास की प्रतिज्ञा के लिए श्राचार्य वन्दना चतुर्दशी के दिन त्रिकाल वन्दना के लिए नंदीश्वर पर्व में सिद्धप्रतिमा के सामने तीथङ्कर के जन्म दिन प्रष्टमी चतुर्दशी की क्रिया में अपूर्व चैत्य वन्दना वा त्रिकाल नित्य वन्दना के समय अभिषेक वन्दना - लघु त भक्ति प्राचार्य भक्ति लघु त भक्ति । सिद्ध भक्ति पढ़कर उसका त्याग वा आहार के लिए गमन सिद्ध भत्ति । लघुयोगि भक्ति, लघुसिद्ध भक्ति लघुयोगि भक्ति लघुसिद्ध भक्ति लघु आचार्य भक्ति चैत्य भक्ति, भक्ति, पंचगुरु भक्ति । अथवा सिद्ध भक्ति चेत्य भक्ति, भूत भक्ति, पंचगुरु भक्ति, शांति भक्ति । - सिद्धभक्ति, नन्दीश्वर भक्ति, पंच गुरु भक्ति, शांतिभक्ति । सिद्धभक्ति चैत्यभक्ति, श्रुतभक्ति पंचगुरु भक्ति अथवा शिद्ध भक्ति चैत्यभक्ति, पंचगुरु भक्ति, श्रुतभक्ति शांतिभक्ति । । चैत्यभक्ति, पंचगुरु भक्ति शांतिभक्ति । - सिद्धभक्ति, चैत्यभक्ति, पंचगुरु भक्ति, शांतिभक्ति । सिद्धभक्ति, शांतिभक्ति स्थिरबिंबप्रतिष्ठा— जल प्रतिष्ठा के चतुर्थ अभिषेक में | सिद्धभक्ति, चैत्यभक्ति, पंचमहा गुरु भक्ति शांतिभक्ति ।
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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