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( २२२) पानी से मारे या सबसे पहले स्पर्श अथवा हृदय में लगे तो उसकी आयु १ मास की समझना माहिए ।११।
गर्म पानीसे नहाये अथवा न नहाये यदि सिर पर से धुनां निकले तो उसको आयु १ मास की समझना चाहिए ।१२।
दर्द हुये बिना अथवा कुछ न गिरने पर भी यदि अांख से पानी निकले अथवा प्रांख निकल कर गिर जाये ऐसा प्रतीत हो, या कान सिकुड़ गया हो तो प्रथमा नाफ मुड़ी हुई मालूम पड़े तो उसकी आयु १ मास की समझना चाहिए ।१३।
दोपहर के समय अपनी छाया सूर्य के ऊपर दिखाई पड़े तो १२ मास आयु समझना चाहिए ।१४।।
पानी अथवा शीशी में यदि अपनी छाया नहीं दिखाई पड़े तो, अथवा मस्तक दो दिखाई पड़े तो उसकी आयु ११ दिन की समझना चाहिए ।१५।।
मुख निरतेज दिखाई पड़े और शरीर में दुर्गध अथवा कमल के समान गन्ध, अथवा देवदारु गन्ध अगर गन्ध एसी सुगन्ध मालूम पड़े तो, अथवा चन्द्र, मण्डल को क्रान्ति निस्तेज दिखाई पड़े तो उसकी प्रायु १७ दिन की समझनी । चाहिए ॥१६॥
बिना कारण शब्द निकल पड़े तो, अथवा बर्तन के टूटने का शब्द सुनाई पड़े किन्तु, दूसरे को वह शब्द न सुनाई पड़े अथवा बिना कारण हृदय व्याकुल हो या मूत्र मल अपने खाने ऐसा प्रतीत हो और मल मूत्र का निरोध हो गया हो तो उसकी प्राथु आठ दिन की समझनी चाहिए 1१७।।
घर के दरवाजे के पास से निकलते समय में शरीर में दर्द मालूम पड़े और अन्दर जाने के समय में दर्द मालूम पड़े और मर्म स्थान में दर्द मालूम हो अथवा अपने शरीर में कोई पानी से मारे और यह अपने को न प्रतीत हो कि कच्चा पानी है या पक्का पानी तो, उसकी आयु सात दिन की समझनो चाहिए । १८
जीभ काली और सूक्ष्म दिखाई पड़े तो, और बार-बार जंभाई पावे तो उसकी आयु चार दिन की समझनी चाहिए।१६।।
यदि कान में शब्द सुनाई न पड़े तो उसकी प्रायु दो दिन की समझनी चाहिए ।२०
इस प्रकार संलेखना करने वाला गृहस्थ इन मरण-चिन्हों को देख लेता है। यहां पर कुछ कानडी श्लोक पुस्तक के विस्तार भय से