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(ग) श्री खंड निमित्त ज्ञान:--
सुचिर व्रत होकर श्री भगवान पारसनाथ तीर्थङ्कर को अभिषेक और पाठ द्रव्यों से पूजा करके दाहिना हाथ शुक्ल पक्ष और बांया हाथ कृष्ण पक्ष करके इस प्रकार से अपने मन में कल्पना करके दोनों हाथों में गोमूत्र लगाकर बाद में गरम पानी और दूध से धो डाले। इसके पश्चात् ठण्डे पानी से साफ घो लेना चाहिए। एक-एक अंगुली में तीन-तीन रेखा की गिनती से पांच अंगुली में १५ रेखा होती हैं । अंगूठे के पहले पर्व से लेकर कनिष्ठ अंगुली के पर्व तक पांच सात वार पंच नमस्कार से प्रत्येक में सात-सात बार अभिमंत्रित करके लगाया हुआ चंदन सूखने तक ठहर कर अंगूठे के पहले पर्व की प्रतिपदा आदि गिनतो करने से १५ पोटों में उसके कहीं पर काला दाग दिखाई दे तो उसी दिन उनकी मृत्यु समझना चाहिए। कर्म से गिनती करने पर जिस गिनती में पर्व का गिनते वह बिन्दी किस पर्व पर आयेगा जिस पर आवे इतना ही दिन उनके समाधि का दिन समझना चाहिए। जैसे कहा भी है।
लक्ष्य लक्षण लक्षितेन मनसा सम शुद्ध भानोज्वेले । क्षीरण दक्षिण पश्चिमोत्तरपुरे षटत्रितिम सैककस् ॥ छोद्रपश्यति मध्यमे दश दिनम् धूमाकुलं तद्दिनम् । कृष्ण सप्तदिनं सकंपनमय पक्षे बि निवृश्ताम् ॥१९॥ चन्द्र और सूर्य के निमित्त ज्ञान:
भगवान श्री शान्तिनाथ तीर्थङ्कर को यथा विधि पूर्वक अभिषेक करके इस गंदोदक को प्रकाश में रखकर चन्द्र या सूर्य को उसी रखे हुए गंदोदक चंद्र या सूर्य को दक्षिण मुख होकर के देखना चाहिए । दक्षिण दिशा के तरफ यदि चन्द्रमा या सूर्य हानि दिखाई देता हो तो ६ माह उनकी आयु समझना चाहिए । यदि पश्चिम दिशा में मलीनता दिखाई पड़े तो तीन मास की उनकी आयु समझना चाहिए । यदि उत्तर दिशा में मलीनता दिखाई पड़े तो २ महीना और यदि पूरब में मलीनता दिखाई पड़े तो १ मास की उनकी आयु समझना चाहिए। __ यदि बीच में छिद्र दिखाई पड़े तो १० दिन आयु समझना चाहिए।
यदि कांपते हुए दिखाई पड़े तो १५ दिन समझना चाहिए दोनों चन्द्र सूर्य बिम्ब काला दिखाई देता हो तो उनकी आयु सात दिन का समझना चाहिएः .....