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________________ । १३४ ) , सोमवार और शनिवार को दक्षिण दिशा की यात्रा से धन का लाभ होता है। बुधवार तथा गुरुवार को पश्चिम दिशा में गमन करने से कार्य की सिद्धि होती है । रविवार तथा शुक्रवार को उत्तर दिशा में यात्रा करने से धन धान्य का लाभ होता है। दिक् शूलन पूर्वे शनि सोमे च, न गुरुदक्षिणे तथा न पश्चिमे भानुशुक्र च, नोत्तरे बुधमंगले ।। अर्थ---शनिवार सोमवार को पूर्व दिशा में गमन न करे। दक्षिरण दिशा में गुरुवार को जाना ठीक नहीं। रविवार शुक्रवार को पश्चिम दिशा में तथा बुधवार मंगलवार को उत्तर दिशा में न जाना चाहिये । प्रयाण के लिए शुभ तिथियां द्वितीया को यात्रा करने से कार्य सिद्धि, तृतीया को शान्ति, पंचमी को सुख, सप्टमी को अर्थ न, [ष्टमी को शुम, दशमी को शुभ फल की प्राप्ति एकादशी तथा प्रयोदशी को यात्रा करने से कार्य सिद्ध होता है । शेष १- ४-६१४-१५, अमावस्या पष्ठी और द्वादशी यात्रा के लिए अशुभ है। यात्रा के लिए चन्द्र विचार-- मेषे च सिंहे धनपूर्वभागे,वृषे च कन्या मकरे च याम्ये । युग्मे तुले कुम्भसुपश्चिमायां फर्कालिमीने दिशि चोत्तरस्यास ॥ ___ अर्थ--मेष, सिंह, धन राशि हो तो चन्द्रमा पूर्व दिशा में रहता है। वृष, कन्या, और मकर राशि हो तो चन्द्र दक्षिण दिशा में रहता है। मिथुन तुला, कुम्भ राशि में चन्द्र पश्चिम दिशा में तथा कर्क, वृश्चिक मीन राशि के समय चन्द्र उत्तर दिशा में रहता है। सन्मुखे अर्थलाभाय, दक्षिणे सुखसम्पदः । पृष्ठतः प्राणनाशाय, वामेचन्द्र धनक्षयः ॥ अर्थ---यात्रा के समय चन्द्रमा यदि सन्मुख हो तो अर्थ |धन का लाभ होता है। यदि चन्द्र दाहिनी दिशा में हो तो सुख सम्पत्ति प्राप्त होती है, चन्द्र यदि पीठ की ओर हो तो प्राग नाशकी आशंका रहती है तथा यदि यात्रा के समय बांयी दिशा में चन्द्रमा हो तो धन की हानि होती है। मरण नक्षत्र दोष विचारधनिष्ठा नक्षत्र के ३-४ पाद में शततारका, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती को पंचक नक्षत्र कहते हैं । कृतिका, उत्तरा, उत्तराषाढ़ा ये अन्तः त्रिपाद
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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