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________________ ( १३२ ) शीघ्र ही फल को देता है। और व्रत उपवासादि क्रिया की सिद्धि भी होती है। काल राहु रहने की दिशा: रवि गुरुवार को पूर्व दिशा में सोम शुक्र को दक्षिण दिशा में, मंगलवार को पश्चिम दिशा में शनि, बुध को उत्तर दिशा में काल राहु रहता है । - नवीन गृह (घर) निर्माण मुहूर्त :-- वैशास्त्र, श्रवण, कार्तिक, माघ इन मासों में उत्तराषाढ़ उत्तरा भाद्रपद, मृगशिरा, रोहिणी, पुष्य, अनुराधा, हस्त, चित्रा, स्वाति, धनिष्ठा शततारका, रेवती इन १३ तेरह नक्षत्रों में और २-३-५-७-१०-११-१३-१५ तिथियों में तथा सोम, बुध, गुरु, शुक्रवार दिनों में नया घर बनवाने का मुहूर्त उत्तम माना है । फागुन मास नूतन गृहारंभ करने में साधारण माना है । शततारका औषधि सेवन करने और तैयार करने का मुहूर्त:हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूला पुष्य श्रवण, धनिष्ठा, मृगशिरा, रेवती, अश्विनी पुनर्वसु, इन नक्षत्रों में तथा सोम, बुध, गुरु, शुक्रवार दिनों में और २-३-५-७-१० ११-१३-१५ का शुक्ल पक्ष में तथा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के दिन औषध तैयार करने में और सेवन करने में शुभ माने हैं । भौमश्विनी आदि सिद्ध योग भी कार्य विशेषों में निन्द्य है। गृहप्रवेशे यात्रायां विवाहे च यथाक्रमम् । भीमेऽश्विनों शनौ ब्राम्हं गुरौ पुष्यं विवज्र्जयेत् २२|| —— मंगलवार को अश्विनी गृह प्रवेश में, शनिवार का रोहिणी यात्रा में, गुरुवार को पुष्य नक्षत्र विवाह में वर्जित है । प्रवारण के लिए शुभ नक्षत्र :--- मृगाश्विनी पुष्य पुनर्वसू च हस्तानुराधा श्रवणं च मूलः । धनिष्ठ रेवत्य गते प्रयाणं फलं लभेत् शीघ्र विवर्तनं च ॥ अर्थात्-मृगशिर, अश्विनी, पुष्य, पुनर्वसु, हस्त, अनुराधा, धवरण, मूल, धनिष्ठा और रेवती इन नक्षत्रों में प्रधारण करने से कार्य शीघ्र सफल बनता है । प्रयाण के लिए दुष्ट नक्षत्र : पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वाभाद्रपद, मषा, जेष्ठा, भरणी, जन्म नक्षत्र कृतिका, स्वाति, श्लेषा, विशाखा, चित्रा, प्रादि इन नक्षत्रों " में कभी प्रयाग नहीं करना चाहिए। इन नक्षत्रों में प्रयाण करने से हानि होती
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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