________________
( १२८.)
१२ महीनों के नाम
१ चैत्र, २ वैशाख, ३ ज्येष्ठ ४ आषाढ़, ५ श्रावण ६ भाद्रपद, ७ आश्विन, ८ कार्तिक, मार्गशिर १० पी० ११ माघ, १२ फागुन ।
'
पक्ष २
प्रयेक महीने के शुरू में सुदी पडवा से पीरिंगमा तक १५ दिन शुक्ल पक्ष श्री कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक १५ दिन कृष्ण पक्ष जाननः चाहिए । शुक्ल पक्ष को सुदी, कृष्ण पक्ष को वदी कहने की परिपाटी है । तिथि ३० होती हैं
प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी पंचमी, पछी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पौणिमा से शुक्ल पक्ष की तिथि हैं
2
पुनः प्रतिपदा से चतुर्दशी तक १४ तिथि ऐसे आगे चलते हुए ३० वीं तिथि के अंत में अमावस्या ग्राती है। ये कृष्ण पक्ष की तिथि हैं। ये ३० तिथि मिलकर १ मास होता है ।
वार-5 हैं
रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार ये सात वार हैं ।
नक्षत्र २५ हैं
आकाश मंडल में असंख्यात नक्षत्र होने पर भी इस क्षेत्र में रूढ़ि में आने वाले नक्षत्र २८ हैं । उनके नाम इस प्रकार हैं:
नक्षत्रों के नाम :--
१ अश्विनी
२ भरणी
३ कृतिका
४ रोहिणी
५ मृगशिरा
५ पुष्य ६ आश्लेषा
६ आर्द्रा
७ पुनर्वसु
१० मचा
११ दुर्वा
१२ उत्तरा
T
१५ स्वाती
१६ विशाखा
१३ हस्त १४ चित्रा
१७ अनुराधा
१८ जेष्ठा
१९ मूल
२० पूर्वा पाढ
२१ उत्तरा-पाव
उत्तराषाढ प्रोर श्रवण के बीच में अभिजित नाम का नक्षत्र है । बहुत दिनों तक यह नक्षत्र रूढ़ि में न होने के कारण अन्य ज्योतिषकारों ने इसको बिल्कुल ही गिनती नहीं लिया था अव जैन ज्योतिष ग्रन्थों के अनुसार यह नक्ष प्रचार में आने से सभी - ज्योतिष के विद्वान २८ नक्षत्र को गिनती में लाते जगे हैं ।
२२ श्रवरण
२३ धनिष्ठा
२४ शततारका
२५ पूर्वा भाद्रपद
२६ उत्तरा भाद्रपद
२७ रेवती
२५ श्रभिजित