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________________ ( १२१) नन्दा भद्रा जया रिक्ता पूर्णा च तिथयः कमात् । देवाश्चन्द्रसूरेन्द्रा आकाशो धर्म एव च ॥ कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, प्राी, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वा, उत्तरा, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ अभिजित्, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपदा, उत्तरा भाद्रपदा, रेवती, अश्विनी और भरिणी ये २८ नक्षत्र हैं। शिखी, कमलज, शितकर, रुद्र, अविति, जीभ, उरग, पितृ भग, ऐएम, दिनकर, त्यष्ट, समीर, इन्द्राग्नि, मैत्री, इन्द्र, निःश्रुति, जल, विश्वदेव, प्रजा, विष्णु, वसु, वरुण, अजपाद, अहिर्बुध्म, पूषा, अश्वो और यम ये २८ तारों के अधिपति हैं। ___ अब नक्षत्रों के चार चार चरणों को बतलाते हैं:-- लालका ला विचारः... चू चे चो ला अश्विनी। हरे रोता स्वाती । लि सू ले लो भरणी 1 ती सू से तो विशाखा । आ इ उ ए कृतिका । ना नीतू ने अनुराधा । प्रो वा वि वू रोहिणी। नो या पी गु ज्येष्ठा । वे वो का कि मृगशिरा। ये यो भा भी मूल । कु घ ङ छ मार्दा । भूषा फवा पूर्वाषाका । के को हा हि पुनर्वस । भे भो आ जि उत्तराषाढ़ा। हू हे हो डा पुष्य । जू जे जो खा अभिजित् । डी डू डे डो श्राश्लेषा । खि खू खे खो श्रवण । मा मि मु मे मघा । मा गी गू गे धनिष्ठा । मो टा टी टू पूर्वा फाल्गुनी । गो सा सिसु शततारा । टेटो पा पि उत्तरा फाल्गुनी । से सो दा दी पूर्वाभाद्रपद। पूषा गाठ हन । दु थ झ उत्तराभाद्रपद । पे पो रा री चित्रा । दे दो चा ची रेवती । प्रत्येक मनुष्य के नक्षत्र और चरण की पहचान नामका पहला अक्षर हो अथवा जन्म नाम का पहला अक्षर हो तो उसको पहले अच्छी तरह समझ लेना चाहिए । उसके बाद वह अक्षर ऊपर के प्रवकहला कोष्ठक में देखकर उस मनुष्य के नक्षत्र चरण को निश्चय कर लेना चाहिये ।
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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