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________________ शिरोधि, स्रोतवाहिनी, ये तीन नदियां है । गंभीर मालिनी, फेन मानिनो, उमि मालिनी ऐसी १२ नदियों को ५ से गुणा करने स ६० होतो हैं । ये ६० विभंग नदी है । षष्ठ्युत्तरशतं विदेहजनपदाः ॥१८॥ अर्थः-पांच विदेह के १६० देश हैं । उनका वर्णन करते हैं? कच्छ, सुकच्छ, महाकच्छ, कच्छकावती, यावर्त, लांगलावतं, पुष्कला, पुष्कलावती, ऐसे पाठ देश पूर्व विदेह के सीता नदी के उत्तर के देश हैं। वत्सा, सुवत्सा, महावत्सा, वत्सकावती, रम्य, रम्यक, रमणीक, मंगलायती-ऐसे ये पाठ सीता नदी के दक्षिण के देश हैं। पद्य, सुपद्म, महापद्म, पद्मकावती, सख्य, नलिन, कुमुद, सरित,ये पश्चिम विदेह के सीता नदी के दक्षिण बाजू के देश हैं । Vवन, सुवप्र, महावप्र, वप्रकावती, गंधि, सुगधि, गंधित्ला, गंधमालिनी ये आठ जनपद पश्चिम विदेह के सोता नदी के उत्तर तट के हैं। ये सब २२१२ योजन विस्तृत देश हैं। प्रदक्षिणा के क्रम से महानदी के तटवर्ती हैं। ये देश भक्ति विशाल ग्राम, नगर, खेत, कर्वट, मटम्ब, पत्तन आदि से वेष्टित हैं । अनेक नदी, उद्यान, दिपिका सरोवर, (कमल से शोभित) अत्यन्त विनीत जनों से संकीर्ण एक एक खंड होते हैं । उसके मध्य में चालोस कोस लम्बे ३६ कोस चौड़े नगर हैं । अब चक्रवर्ती की राजधानी का नाम कहते हैं । . क्षेमा, क्षमपुरी, अरिष्टा, अरिष्टपुरी, खलीग, मंजूषा, प्रोसपुरी, पुण्डरीकिरणी,सुषमा, कुण्डल, अपराजित, प्रभंकर, अंक, पद्मावतो, शुभारत्न संचय ऐसे पूर्व विदेह सेसंबंधित नगर हैं। अश्वपुरो, सिंहपुरी, महापुरी, विजयपुरी, अरजा, विरजा, अशोका, विशोका, विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजिता, चक्रपुरी, खडगपुरी, अवधपुरी, और अयोध्यापुरी ये १६ नगर अपर विदेह के पद्मावती देश संबंधी है इन ३२ जनपद को ५ मेरु पर्वत सम्बन्ध से पंचगुना करने पर १६० देश और १६० नगर होते हैं। श्लोक कानड़ी:-- चरमोत्तम देहदु । ... धरतपदिदं विवेह रप्पुरवा । .. धरगिगे विदह में दो . ... विरे संदो नाम मंतदक कन्वथं ॥२६॥
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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