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() रहते हैं । पद्म सरोवर में पहले कहे अनुसार १ लाख ४० हजार १ सौ पन्द्रह परिवार हैं । जम्बू द्वीप में पद्म आदि ६ सरोवर तथा देवकुरु उत्तरकुरु के २० सरोवर यानी सब २६ सरोवर हैं। पद्म (छोटे कमल) धातकी खंड में उनसे दुगुने यानी ५२ और पुष्करार्द्ध में ५२ ऐसे कुल १३० सरोवर हैं । सूत्र
सप्ततिर्महानद्यः ॥११॥ अर्थ--७० महानदियाँ हैं । उनका विवरण बताते हैं......
ऊपर कहे हुथे पद्म सरोवर से उत्पन्न होकर गंगा नदी उस पर्वत के कुछ योजन प्रागे चलकर प्रणाली (मोरी) से बाहर आकर पर्वत के नीचे कुण्ड के मध्य में स्थित देवता कूट में विराजमान जिन बिब के मस्तक के ऊपर जन्माभिषेक के समान गिरती है। वहाँ से प्रवाह रूप धारा-वाही होकर उस कुड से बाहर आकर भरत क्षेत्र में बहती हुई महानदी के रूप में आगे जाकर लवरण समुद्र में मिल जाती है। इसी प्रकार अन्य नदियां भी बहती हैं।
अब नदियों के नाम बताते हैं .--
गंगा, सिंधु, रोहित, रोहितास्या, हरित, हरिकांता, सीता सीतोदा, नारी नरकांता, सुवर्ण कूला, रूप्यकुला, रक्ता, रक्तोदा ऐसी १४ नदियां हैं। इनको घातकी खंड तथा पुष्करार्द्ध की नदियों की अपेक्षा पांच गुणा करने से ७० महा नदियां होती हैं । भरत में गंगा सिन्धु, ऐरावत में रक्का रक्तोदा बहती हैं उन प्रत्येक नदी के १४००० परिचार रूप सहायक नदियां हैं। रोहित-रोहितास्या. सुवर्णकूला रूप्यकुला हेमयत तथा हैरएयवत क्षेत्र में बहती हैं उन प्रत्येक की २८०००-२८००० परिवार नदियाँ हैं । हरित द्रिकान्ता नारी नरकान्ता कामशः हरि तथा रम्मक क्षेत्र में ५६००० नदी परिवार सहित बहती हैं। देवकुरुउत्तर कुरु में सीता, सीतोदा नदी ८४०००-८४००० परिवार नदियों के साथ बहती हैं। इस प्रकार ये सभी मिलकर धातकी खेड तथा पुष्कराद्ध द्वीप में दुगुनी रचना के अनुसार ५ गुणा करने से ८६६०१५० नदिया अढ़ाई द्वीप में हैं। सूत्र
विशति भिनगाः ॥१२॥ स्थिर भोग भूमि में ग्रानी जम्बू द्वीपवर्ती जघन्य तथा मध्यम भोगभूमि के क्षेत्रों में १००० योजन विस्तार वाले ४ नाभि गिरि हैं। उनके नाम षड्जवन्त, विचटवन्त, पद्मवन्त और गन्ध हैं। ये सफेद वर्ण हैं। इन पर्वतों के ऊपर देवेन्द्र के अनुचर स्वामी वारण. पद्म, प्रभास. रहते हैं। इन ४ नाभि पर्वतों को पांच गुणा करने से २० (वृत्त विजार्द्ध) नामी पर्वत होते हैं ।