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प्रमाण होती है । उत्कृष्ट ३ पल्योपम होती है । कुभोग-भूमि वालों की आयु एक पल्योपम होती हैं ।
पंचदश कर्मभूमयः ॥ ३॥
स्थित कर्म भूमि में पांच भरत पांच ऐरावत हैं। नित्य कर्मभूमि में ५ विदेह हैं | भारत की चौड़ाई जम्बू द्वीप के १६० यां भाग है जोकि ५२६ योजन तथा एक योजन के १६ भाग करने से ६ भाग प्रमाण ( ५२६६४ ) होता है । हिमवान पर्वत भरत क्षेत्र से दुगुना है । इसके प्रागे विदेह तक दुगुना - दुगुना विस्तार होता हैं । उसके पश्चात् प्राधा श्राधा भाग प्रमाण ऐरावत तक होता है। प्रत्येक भरत तथा ऐरावत में म्लेच्छ खंड पांच पांच होते हैं, अतः समस्त पचास म्लेच्छ खंड होते हैं ।
विदेह क्षेत्र के प्रत्येक भाग में पांच पांच म्लेच्छ खंड होने से ८०० म्ले खंड होते हैं। और १६० प्रार्य खंड होते हैं । इनके सिवाय बाकी सब भोगभूमि होती हैं सो नीचे बताते हैं ।
त्रिशभोगभूमयः ॥४॥
दो हजार धनुष प्रमाण शरीर वाले तथा एक पल्योपम आयु वाले पांच हैमवत और पांच हैरण्यवन क्षेत्र जघन्य भोगभूमि है ४००० धनुष उत्सेध (ऊंचाई) वाले दो पल्योपम श्रायु वाले पांच पांच हरिवर्ष और रम्यक क्षेत्र मध्यम भोगभूमि हैं । ६००० धनुष शरीर वाले, ३ पल्योपम श्रायु वाले हैं ५ देवकुस ५ उत्तर कुरू उत्तम भोगभूमि हैं । ये देवकुरू उत्तरकुरू मिलकर तीस भोग भूमियां हैं ।
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पति कुभोगभूमयः || ५ ||
तात्पर्य - लवण समुद्र तथा कालोदधि समुद्र के बाहर के तट के निकट २४-२४ इस तरह कुल ६६ कुभोग भूमियां हैं । वे इस प्रकार हैं ———
दहगुण परण पर पररा परण सट्ठी मुबही ।
महि गम्मस्य समपरण वर्षाणं पण्णं परणवी सावित्तडा कमसो || ६ || वावेदिका से पांच सौ योजन दूरी पर १०० योजन विस्तार वाले चार दिशा के द्वीपों में एक टांग वाले, पूछ वाले, सींग वाले, गूंगे मनुष्य होते