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मण समुद्र के पानी अरुचिकारक हैं। बाकी असंख्यात समुद्रों का पानी गन्ने के रस के समान है। उन समुद्रों में जलचर प्राणी नहीं रहते हैं । जलचर जीव कहाँ रहते हैं सो बताते हैं:
लवण समुद्र में, कालोदधि, व अत के स्वयंभूरमरण में में जलचर प्राणी रहते हैं । लबण समुद्र की मछली की लम्बाई ३६ योजनहै अंतके स्वयंभूरमण समुद्र की मछली की लम्बाई १००० योजन प्रमाण है। अपनी अपनी नदी की मछली अपने अपने समुद्र से प्राधी होती है (उस मछली की लम्बाई समुद्र की मछली से आधी होती है)। आगे एकेन्द्रिय जीव की प्रायु तथा उत्कृष्ट अवगाहना को बताते हैं।
एकेन्द्रिय जाति में कमल १ कोश से १००० योजन तक के होते हैं। द्विइन्द्रिय जाति में शंख १२ योजन के होते हैं । तीन इन्द्रिय जाति में वृश्चिक (बीलू) तीन कोश के होते हैं । चतुरिद्रिय जाति में भौंरा ४ योजन का होता है । पंचेन्द्रिय जाति में मछली का विस्तार १००० योजन, चौड़ाई ५०० योजन होती है । और उत्सेध (ऊंचाई) २५० योजन होती है ।
इस प्रकार यह सब इनकी उत्कृष्ट अवगाहना है । जघन्य घनांगुल के असंख्यातवें भाग के बराबर है । ये सभी अंतद्वीपार्ध और अंतिम समुद्र में होते हैं। इनकी प्रायु इस प्रकार है:----
शुद्ध पथिवी काय की १२००० वर्षे है । खर पृथिवी काय की २२००० वर्ष है। अप कायिक की ७००० वर्ष है। तेज काय की ३ दिन ही आयु होती है। वात कायकी ३०००० वर्ष आयु होती है। घनस्पति काय की १००० वर्ष की होती है। द्विइन्द्रिय की १२ वर्ष प्रायु होती है । तीन इन्द्रिय की ४६ दिन होती है। चतुरिन्द्रिय की ६ मास आयु होती है । प'चेन्द्रिय नर तिर्यंच महामत्स्यादि की एक करोड पूर्व प्रायु होती है। गोह की और गिरगिट सरीसर्प आदि की । पूर्व प्रायु होती है । पक्षी की ७२००० वर्ष आयु होती है । सर्प की ४२००० वर्ष की आयु होती हैं । इत्यादि सम्पूर्ण तिर्यच जीवों