________________
शासन - चतुस्त्रिंशिका
७७७०
666666
बड़वानी मालवा प्रान्तका एक प्राचीन प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र है और जो इन्दौर के पास है। निर्वाणकाण्ड' और अपभ्रंश निर्वाणभक्ति के रचयिताओंने भी इस तीर्थका उल्लेख किया है ।
जैनपुर के दक्षिण गोम्मटदेव
'जैनपुर' जैनविद्री व श्रवणबेलगोलाका प्राचीन नाम है । नरेश रायमल्ल (ई. ९७४-६८४) के सेनापति और मन्त्री चामुण्ड रायने वहाँ बहुचरित स्वामीकी ५० फीट ऊँची खड्गासन विशाल पाषाणमूर्ति बनवाई थी। यह मूर्ति एक हजार वर्षसे जाड़े, गर्मी और बर्षातकी चोटोंको सहती हुई उसी तरह आज भी वहाँ विद्यमान है र संसारकी प्रसिद्ध वस्तुओं से एक है। इस मूर्तिकी प्रशंसा करते कालेलकर अपने एक लेखमें लिखा है :
हुए
[ ४६
'मूर्तिका सारा शरीर भरावदार, यौवनपूर्ण, नाजुक और कान्तिमान है। एक ही पत्थरसे निर्मित इतनी सुन्दर मूर्ति संसारमें और कहीं नहीं। इतनी बड़ी मूर्ति इतनी अधिक स्निग्ध है कि मक्लि साथ कुछ प्रेमी भी यह अधिकारिणी बनती है । धूप, हवा और पानीके प्रभावसे पीछे की ओर ऊपरकी पपड़ी खिर पड़नेपर भी इस मुर्तिका लावण्य खडित नहीं हुआ है।'
डाक्टर हीरालाल जैन लिखते हैं-'यह नम, उत्तर- मुख खड्गासन मूत्तिं समस्त संसारकी अधर्यकारी वस्तुसे है ।
१ देखो गाथा नं १२ । २ देखो गाथा नं. ११ ।
३ जैनधर्म पृ० ३४२से उद्धृत |
४ शिलालेख संग्रह प्रस्तावना पृ० १७-१८