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विषयानुक्रमणिका
श्लोक
पृष्ठ
१-२
१-८ ६- १२ १३ - १७ १८ - २२
२२ - २५ २६ - ३१
३८ - ४५ ४६ - ५३ ५४ - ६४६ ६५ - ७१
५-६
-१०
विषय प्रथम प्रकाश मङ्गलाचरण और ग्रन्थ-प्रतिज्ञा चारित्रका लक्षण चारित्रको प्राप्त करनेवाला मनुष्य मुनि दीक्षा लेनेवाले मनुष्यकी गुस्से प्रार्थना प्रार्थनाके उपरान्त गुरुको स्वीकृति पांच महाव्रतोंका संक्षिप्त वर्णन पाँच समितियोंका संक्षिप्त स्वरूप पाँच इन्द्रियविजयका निरूपण छह आवश्यकोंका कथन शेष सात मूलगणोंका वर्णन दोक्षार्थीका दिगम्बर-दीक्षा ग्रहण करना द्वितीय प्रकाश मङ्गलाचरण चारित्र प्राप्त करने का अधिकारी संघम लब्धिको प्राप्त करने वाले
पुरुषके करण तथा करणोंका
कार्य, संयमके भेद सामायिक और छेदोपस्थापना चारित्रका
स्वरूप परिहारविशुद्धि संयमका वर्णन सूक्ष्मसाम्पराय संयमका वर्णन यथाख्यातचारित्रका वर्णन संयमसे पतित होकर पुनः संयम प्राप्त
करनेवाले मुनियोंके करणोंका वर्णन प्रतिपात, प्रतिपद्यमान और तव्यति
रिक्त स्थानोंको परिभाषा मोहनोयकर्मको उपशमनाका वर्णन
२-५
२
६- १२
१२ - १३
१३-१४
१३ - १५ १६ - २० २१-२६ २६ - २८
१५
२६ - ३०
१६-१७
३१ - ३५ ३६ - ४०
१७-१८