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विषयानुक्रमणिका
श्लोक
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५-६ ६ -७
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१० - 41
विषय प्रथम प्रकाश मङ्गलाचरण और ग्रन्थ-प्रतिज्ञा
१-८ चारित्रका लक्षण
६- १२ चारित्रको प्राप्त करनेवाला मनुष्य १३ - १७ मुनि-दीक्षा लेनेवाले मनुष्यको गबसे प्रार्थना १८ - २२ प्रार्थनाके उपरान्त गरुको स्वीकृति २२ - २५ पांच महाव्रतोंका संक्षिप्त वर्णन
२६ - पाँच समितियोंका संक्षिप्त स्वरूप ३२ - ३७ पाँच इन्द्रियविजयका निरूपण
३८ - ४५ छह आवश्यकोंका कथन
४६-५३ शेष सात मूलगुणोंका वर्णन
५४ - ६४ दीक्षार्थीका दिगम्बर दो बहण मारमा द्वितीय प्रकाश मङ्गलाचरण चारित्र प्राप्त करने का अधिकारी संयम लब्धिको प्राप्त करने वाले
पुरुषके करण तथा करणोंका कार्य, संयमके भेद
६ - १२ सामायिक और छेदोपस्थापना चारित्रका स्वरूप
१३ - १५ परिहारविशुद्धि संयमका वर्णन
१६ - २० सूक्ष्मसाम्पराय संयमका वर्णन
२१ - २३ यथाख्यातचारित्रका वर्णन
२६ - २८ संयमसे पतित होकर पुनः संयम प्राप्त ___ करनेवाले मुनियोंके करणोंका वर्णन २६ - ३० प्रतिपात, प्रतिपद्यमान और तद्व्यति
रिक्त स्थानोंको परिभाषा ३१ - ३५ मोहनीयकर्मकी उपशमनाका वर्णन ३६ - ४०
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१३ - १४
१५ - १६
१६
१६ - १७ १७ - १८