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| गोम्मटसार जीवका गाया ६०१ वर्गणा सो होइ वा न होइ, जो होइ ती एका वा दोय वा तीन वा उत्कृष्ट छह होइ । असे अनंतवर्गणा पर्यंत उत्कृष्ट छह ही होइ । बहुरि इस ही अनुक्रम ते अनंत अनंत वर्गणा पर्यंत उत्कृष्ट सात, पाठ, सांत, छह, पांच, च्यारि, तीन, दोय वर्गणा जगत विर्षे समान परमाणूनि का प्रमाण लीएं हो हैं । यह यवमध्य प्ररूपणा है, जैसे यव नामा अन्न का मध्य मोटा हो है, तसे इहां मध्य वि वर्गणा आठ कहीं । पहिले वा पीछे थोड़ी थोड़ी कहीं । ताते याकौं यवमाध्या फरूपाणा कहिए है । सो यहु, प्ररूपणा मुक्तिगामी भव्य जीवनि की अपेक्षा है ? असे प्रत्येक वर्गणा सम्हान संसारी जीवनि के न. पाइए है। . इहां से प्रागै संसारी जीवनि के पाइए असी प्रत्येक वर्गणा कहिये हैं
सो पूर्व कथन कीया, ताके अनंतरि पूर्व प्रत्येक वर्गणा ते एक परमाण अधिकता लीएं, जो प्रत्येक वर्गरणा सो जगत विर्षे होइ, वान होइ. जो होइ तो एक का दोय वा तीन इत्यादि उत्कृष्ट श्रावली का असंख्यातवां भाग प्रमाण होइ । असें ही अनन्तवर्गणा भए, अनंतरि जो प्रत्येक वर्गणा, सो लोक विर्षे होइ वा न होई,जो होइ तौ एक या दोय वा तीन उत्कृष्ट श्रावली का असंख्यातवां भाग प्रमाण पूर्व प्रमाण ते एक अधिक होह । असे अनंत अनंत वर्गणा भए, एक एक अधिक प्रमाण उत्कृष्ट विर्षे होता जाय, जहां यवमध्य होइ, तहां ताई असें जानना । यवमध्य विर्षे जेता परमाणू का स्कंधरूप प्रत्येक वर्गणा भई, तितने तितने परमाणनि का स्कंध रूप प्रत्येक वर्गणा जगत विर्षे होइ वा न होइ, जो होइ, तो एक वा दोय वा तीन उत्कृष्ट प्रावली का असंख्यातवां भाग प्रमाण होई । यहु प्रमाण इस ते जो पूर्वप्रमाण ताते एक अधिक जानना । जैसे अनंत वर्गणा भएं, अनंतरि जो वर्गरणा भई, सो जगत विर्षे होइ वा न होइ, जो होइ तौ एक वा दोय वा तीन उत्कृष्ट पावली का असंख्यातवां भागप्रमाण होई । सो यहु प्रमाण यवमध्य संबंधी पूर्वप्रमाण ते एक धोटि जानना । अँसे एक एक परमाणू के बंधने से एक एक वर्गणा होइ । सो अनंत अनंता वर्गणा भए. उत्कृष्ट विर्षे एक एक घटाइये जहां ताई उत्कृष्ट प्रत्येक वर्गमा होइ, तहाँ ताई अस करना । उत्कृष्ट प्रत्येकवर्गणा लोक विर्षे होइ वा न होइ, जो होइ ती एक वा दोय वा तीनः उत्कृष्ट प्रावली. का असंख्यातवा भाग प्रमाण होइ । जैसे प्रत्येक वर्गण भव्य सिद्ध, अभव्य सिद्धनि की अपेक्षा कही । बहुरि बादरनिगोद वर्गणा का भी कथन प्रत्येक वर्गणावत जानना, किंछु विशेष नाहीं जैसे प्रत्येक वर्गणा विर्षे प्रयोगी का अंतसमय विर्षे संभवती जघन्य वर्गणा, ताकी आदि देकरि भव्य सिद्ध अपेक्षा कथना कीया है । तैसे इहां क्षीणकषायी का अंत समय विर्षे संभवती तिसका शरीर के आश्रित जघन्य बादरनिगोदवर्गणा ताकौं