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सम्यानचन्द्रिका भाषा टीका 1
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तिरियपवे रूऊणे, तदिहेटिल्लसंकलगवारा ।
कोटधरणस्सारणयने, पभवं इणउड्ढपदसंखा ॥१॥ अनंत भागवृद्धि युक्त स्थाननि विर्ष जेथवां स्थान विवक्षित होइ, तीहि प्रमाण तिर्यग् गच्छ कहिये । तामै एक घटाएं, ताके नीचे संकलन बार का प्रमाण हो है।
इहां उदाहरण -- जैसे छठा स्थान विर्षे गच्छ का प्रमाण छह में एक घटाएं, ताके नीचें पांच संकलन बार हो है । प्रक्षेपक सम्बन्धी कोठा के नीचे एक बार, दोय बार, तीन, च्यारि बार, पांच बार, संकलन, प्रक्षेपकप्रक्षेपक आदि के एक एक कोठानि विर्ष संभव है; असे ही अन्यत्र जानना । बहुरि विवक्षित कोठानि का संकलन धन ल्यायने के अथि जेथवां भेद होइ, तीहि प्रमाण जो ऊर्ध्व गच्छ, तीहि विर्षे जेती बार विवक्षित संकलन होइ, तितना घटायें, अवशेष मात्र प्रभव कहिये आदि जानना।
तत्तोरूबहियकमे, गुरणमारा होति उड्ढयसछो ति ।
इगिरूवमादिस्योत्तरहारा होति पभवो ति ॥२॥ अर्थ - तिस प्रादि से लगाइ, एक-एक बघता ऊर्ध्वगच्छ का प्रमाण पर्यंत, अनुम करि विवक्षित के गुणकार होंहि । बहुरि तिनिके नीचें एक तें लगाइ, एक एक बधता, उलटा क्रम करि प्रभव जो प्रादि, ताका भी नीचा पर्यंत तिनिके भागहार होंहि । गुणकारनि कौं परस्पर गुण, जो प्रमाण होइ, ताकौं भागहारनि कौं परस्पर गुण, जो प्रमाण होइ, ताका भाग दीएं, जेता प्रमाण प्रावै, तितने तहां प्रक्षेपकप्रक्षेपक आदि संबंधी कोठा विर्षे वृद्धि का प्रमाण पावै है ।
.. इहां उदाहरण कहिए है - अनंत भागवृद्धि युक्त स्थान विर्षे विवक्षित छठा स्थान विर्षे एक घाटि तिर्यग्गच्छ प्रमाण एक बार श्रादि पांच संकलन स्थान हैं । तिनि वि च्यारि बार संकलन संबंधी कोठानि विषं प्रमाण ल्याइए है। विवक्षित संकलन बार च्यारि, तिनिका इहां छठा भेद विवक्षित है । तातै ऊर्ध्वगच्छ, छह, तामें घटाएं, अवशेष दोय रहे; सो आदि जानना। इस प्रादि दोय ते लगाइ, एक एक अधिक ऊर्ध्वगच्छ छह पर्यंत तो क्रम करि मुणकार होइ । अर तिनके नीचें उलटे क्रम करि आदि पर्यंत एक आदि एक एक अधिक भामहार होइ; सो इहां च्यारि बार
१.१ प्रति में संकलन संकलन शब्द है।