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गोष्मदसार जीवकाण्ड गाथा ३२६
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संकलन का कोठा विषं चरिण है । चरिण का प्रमाण जघन्य का पांच बार अनंत का भाग दीए, जो प्रमाण होइ सो तितना है । तिस प्रमाण के दोय, तीन, च्यारि, पांच, छह तो क्रम ते गुणकार होइ; पर पांच, च्यारि, तीन, दोय, एक भागहार होइ । तहां गुणकारनि करि चूणि कौं. गुणें भागहारनि का भाग दीएं, यथायोग्य अपवर्तन कीए, छह गुणां, चूणिमात्र तिस कोठा विर्षे प्रमाण प्राव है।
भावार्थ - असा जो दोय, तीन, च्यारि, पांच का गुणकार अर भागहार का तो अपवर्तन भया । छह कौं एक का भागहार रह्या, तात्तै छह गुणां चूणिमात्र तहां प्रमाण है। बहुरि असे ही अनंत भागवृद्धि युक्त अंत भेद विर्षे यह स्थान सूच्यंगुल का असंख्यातवां भाग का जो प्रमाग तेथवां है । तातै तिर्यग्गच्छ सूच्यंगुल का असंख्यातवां भागमात्र है । तामै एक घटाएं, अवशेष एक वार आदि संकलन के बार है । तिनिविर्षे विवक्षित च्यारि बार संकलन का कोठा विर्षे प्रमारंग ल्याइए है। विवक्षित संकलन बार च्यारि, ऊर्ध्वगच्छ सूच्यंगुल का असंख्यातवां भाग मात्र मैं स्यों घटाएं, अवशेष मात्र प्रादि है। यात एक एक बघता क्रम करि अर्ध्वगच्छ सूच्यंगुल का असंख्यातवां काम र्यत सौ गुणकार हो । घर उलट नाम करि एक प्रादि एक एक बधता पांच पर्यंत भागहार होइ, सो ज्यारि बार संकलन का कोठा विर्षे
रिंग है । ताते चूणि कौं तिनि गुणकारनि करि गुरणे भागहारनि का भाग दीएं, लब्धमात्र तिस कोठा विर्षे वृद्धि का प्रमाण है । इहां गुणकार भागहार समान नाही; तातै अपवर्तन होइ सकता नाहीं । इहां लब्धराशि का प्रमाण अवधिज्ञान गोचर जानना । बहुरि तिसही अनंत भागवृद्धि युक्त अंत का भेद विर्षे विवक्षित द्विचरम चूर्णिचरिण का दोय घाटि, सूच्यंगुल का असंख्यातवां भाग मात्र बार संकलन घन का प्रमाण ल्याइए है । इहां भी तिर्यग्गच्छ सूच्यंगुल का असंख्यातवां भाग मात्र है । तामै एक घटाएं, एक बार आदि संकलन के बार हो हैं। तहां विवक्षित संकलन बार दोय घाटि, सूच्यंगुल का असंख्यातवां भागमात्र, सो ऊर्ध्वगच्छ सूच्यंगुल का असंख्यातवा भागमात्र मैं घटाएं, अवशेष दोय रहे; सो आदि जानना । इसते लगाई एक एक बधता ऊर्ध्वगच्छ पर्यंत मुणकार अनुक्रम करि हो है । पर एक आदि एक एक बधता अपने इष्ट बार का प्रमाण ते एक अधिक पर्यंत उलटे क्रम करि भागहार हो है । इहां दोय आदि एक घाटि सूच्यंगुल का असंख्यातवां भाग पर्यंत अंक गुणकार बा भागहार विर्षे समान है । तातें तिनिका अपवर्तन कीया । अवशेष सूच्यंगुल का असंख्यातवां भाग का गुणकार रह्या । एक का भागहार रह्या । इहाँ इस कोठा
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